दिल्ली सरकार ने एक साल के ट्रायल के बाद आखिरकार ‘फरिश्ते दिल्ली के’ योजना का शुभारंभ कर दिया है. इस योजना के लॉन्च होने के बाद दिल्ली के प्राइवेट अस्पताल अब सड़क हादसे में घायल शख्स को लौटा नहीं सकेंगे. साथ ही निजी अस्पतालों को मरीजों का इलाज कैशलेस भी करना होगा. यह योजना सिर्फ और सिर्फ सड़क हादसे में पीड़ितों के लिए लाई गई हैं. बीते सोमवार को ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने लॉन्च किया है.



इस योजना को लॉन्च करने के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार हर दुर्घटना पीड़ितों की जान बचाएगी. दिल्ली के हर नागरिक की जान हमारे लिए कीमती है. सड़क हादसें में शिकार हर शख्स का इलाज का पूरा खर्च भी दिल्ली सरकार उठाएगी. घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले शख्स फरिश्ते कहलाएंगे.'



बीते सोमवार को दिल्ली (Delhi) के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल (MAMC) में इस योजना का शुभारंभ किया गया. इस दौरान कई 'फरिश्ते' को सीएम केजरीवाल (CM Kejriwal) ने सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया. इस दौरान कुछ लोगों ने अपनी कहानी भी बताई, जिनकी दुर्घटना के तत्काल बाद अस्पताल पहुंचाने से जान बची थी. फरिश्ता बने कुछ लोगों ने भी अपना अनुभव साझा किया.



अरविंद केजरीवाल के मुताबिक, 'डेढ़ साल पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस योजना को लागू किया गया था. इस दौरान योजना में मिली खामियों को दूर किया गया. इस योजना में अब तक करीब तीन हजार लोगों की जान बची है. दुर्घटना होने के बाद पहला एक घंटा गोल्डन होता है. अगर उस दौरान इलाज मिल गया तो जान बचने की 80 फीसद संभावना होती है. पहले लोग डरते थे कि अस्पताल पहुंचाने पर समस्या न बढ़ जाए, अस्पताल इलाज से इनकार न कर दे, पुलिस न परेशान करे, लेकिन तीन हजार जान बचने के बाद अब साफ हो गया है कि अब ऐसा नहीं हो रहा है. अब घायल के इलाज का सारा खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी. चाहे खर्च कितना ही क्यों न आए. ऑटो और टैक्सी चालकों से अपील करता हूं कि वह काफी समय सड़क पर रहते हैं, कोई भी घायल दिखे तो उसे जरूर अस्पताल पहुंचाए और फरिश्ते बने.'



मुफ्त इलाज कराएगी केजरीवाल सरकार
दिल्ली सरकार का कहना है कि इस योजना में अस्पताल ले जाने वाले हर शख्स को दो हजार रुपए दिया जाएगा. हालांकि, अभी तक का अनुभव है कि लोग पैसे लेने से मना कर देते हैं. अस्पताल किसी को भर्ती करने से मना करता है तो उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा.



इस मौके पर सेव लाईफ फाउंडेशन के संस्थापक पीयूष तिवारी ने कहा, 'मेरे भाई शिवम की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. उसे एक कार ने टक्कर मारी और भाग गया. शिवम जब घायल हुआ था तब वहां तीन सौ लोग पहुंचे, लेकिन किसी ने मेरे भाई को अस्पताल नहीं पहुंचाया. मैंने 2012 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई. 2016 में कोर्ट का निर्णय आया. कोर्ट ने कहा किसी भी घायल के इलाज से निजी अस्पताल इनकार नहीं कर सकता. साथ ही अस्पताल पहुंचाने वाले से कोई पूछताछ नहीं होगी. इस पर सिर्फ दिल्ली सरकार ने काम किया और घायलों के मुफ्त इलाज की योजना बनाई. अगर मेरे भाई की दुर्घटना अब हुई होती तो उसकी जान बच जाती. मैं इस योजना के लिए अरविंद केजरीवाल को धन्यवाद देता हूं.



अब इलाज से मान नहीं कर सकते प्राइवेट अस्पताल
बता दें कि दिल्ली में हर साल करीब आठ हजार सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. कई बार सड़क पर दुर्घटनाओं की स्थिति में लोग सरकारी अस्पताल की ओर जाने की कोशिश करते हैं और इसी लेट लतीफी के कारण कई बार दुर्घटनाओं से मौत भी हो जाती है. सड़क दुर्घटनाओं, आगजनी और एसिड अटैक के बाद अक्सर पीड़ितों को समय पर सही इलाज नहीं मिल पाता. कई बार सड़क पर दुर्घटना में घायल लोगों की अनदेखी की तस्वीरें भी सामने आती हैं.
दिल्ली सरकार ने फरवरी 2018 में इस योजना का ट्रायल शुरू किया था. इस योजना के तहत पूरा खर्च दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय वहन कर रही है. साथ ही घायल को अस्पताल ले जाने का खर्च भी सरकार देती है. घायल आदमी अगर 10 किलोमीटर के दायरे में अस्पताल ले जाते हैं तो एक हजार रुपये और उसके बाद प्रति किलोमीटर 100 रुपये मिलते हैं. इसके साथ ही दुर्घटना के 72 घंटे के अंदर अस्पताल में कोई भर्ती हुआ है और उसका इलाज चल रहा है तो भी वह इस स्कीम का लाभ ले सकता है. इस स्कीम के तहत इलाज के लिए अस्पताल कोई दस्तावेज नहीं मांग सकता. अस्पताल को इस स्कीम के तहत किसी तरह के एग्रीमेंट की आवश्यकता नहीं है.

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