पीपल का पेड़, ये नाम आपने अपने बचपन से ही सुना होगा। आपने पेड़ देखा भी होगा। आपने ये भी देखा होगा कि आपके माता-पिता इस पेड़ की पूजा करते हैं। इस पेड़ की पूजा आखिर होती क्यों है ? आखिर ऐसा क्या खास है इस पेड़ में ? किस दिन इस पेड़ की पूजा करनी चाहिए। ये सारे सवाल आपके मन मे जरूर उठ रहे होंगे तो आइए बिना देर किए जानते हैं इन सब सवालों के जवाब।



इस दिन भूलकर न करें पूजा
हिन्दू धर्म मे पीपल के पेड़ को देवों का स्थान मिला हुआ है। कई धर्म ग्रंथों में इसका जिक्र आपको मिलता है। श्रीमद्भागवतगीता में भगवान श्री कृष्ण से पीपल को अपना स्वरूप तक बताया है। इस पेड़ को एक खास नाम भी दिया गया है और वो नाम है ‘अश्वत्थ’। यही वजह है कि देवमूर्ति की पूजा नहीं कर पाने और मंदिर नहीं जा पाने वाले लोग अगर पीपल के पेड़ की ही पूजा कर लें तो उन्हें धन-धान्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर आप पीपल के पेड़ की पूजा करें तो आप कभी भी दरिद्र नहीं रहेंगे। अब सवाल उठता है कि आखिर पीपल के पेड़ की पूजा किस दिन करनी चाहिए। इसके लिए शास्त्रों में रविवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा नहीं करने की बात की गई हैं।ऐसा माना जाता है कि आप रविवार को अगर पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं तो आपके घर मे दरिद्रता का वास हो जाता है। माता लक्ष्मी आपसे नाराज हो जाती हैं। आप चाहें जितनी भी मेहनत कर लें, जितनी भी कोशिशें अच्छा काम करने की करें आप सफल नहीं होंगे।



इसके पीछे की कहानी जानिए
रविवार को पीपल के पेड़ की पूजा नहीं करने के पीछे की एक कहानी है। एक बार भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी से विवाह करने का मन बनाया पर मां लक्ष्मी ने मना कर दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि लक्ष्मी की बड़ी बहन दरिद्रता का विवाह नहीं हुआ था। जब तक ये विवाह नहीं होता मां लक्ष्मी विष्णु भगवान से विवाह नहीं कर सकतीं थीं सो फिर भगवान विष्णु ने दरिद्रता के लिए ऋषि नाम का वर खोजा।
दोनों का विवाह हुआ। पर यहां दरिद्रता की एक शर्त थी कि वो शादी के बाद ऐसे स्थान पर रहें जहां कोई भी धर्म काम ना करता हो। इसी के बाद पीपल का पेड़ भगवान विष्णु ने रविवार का दिन दरिद्रता को वास करने के लिए दे दिया। यही वजह है कि रविवार को पीपल की पूजा करने से आपके घर दरिद्रता आ जाती है।

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