हिन्दू धर्म के कैलेंडर को देखें तो सालभर में त्योहार और व्रतों की लाइन सी लगी रहती है। एक दो दिन बीच करके कोई न कोई त्योहार आता ही रहता है। खासकर के कार्तिक के महीने में तो बहुत सारे त्योहार पड़ते हैं। ऐसे ही त्योहारों में से एक त्योहार है अक्षय आवंला नवमी का। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को ये त्योहार लोग मनाते हैं। इसे दूसरी भाषा में अक्षय नवमी भी कहा जाता है, देश में ज्यादातर लोग इस त्योहार को मनाते हैं।
अगर आप शास्त्रों में देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि इस दिन लोग आवंले के पेड़ के नीचे बैठते हैं और यहीं भोजन भी करते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से आपके शरीर में होने वाले रोगों का नाश हो जाता है। संतान प्राप्ति के लिए भी महिलाएं इस पर्व को मनाती हैं। ये त्योहार आवंले के पेड़ की पूजा के लिए मुख्य तौर पर जाना जाता है।



इस साल कब पड़ रही है अक्षय नवमी
अगर इस साल की बात की जाय तो इस बार अक्षय नवमी 5 नवंबर को पड़ रही है। लोग इसी दिन आवंले के पेड़ की पूजा अर्चना करेंगे। अगर आवंला नवमी की बात की जाए तो इसके पीछे की कहानी बहुत दिलचस्प है। कहा जाता है कि एक बार लक्ष्मी जी पृथ्वी का भ्रमण करने आईं थीं। इसी दौरान उन्हें भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा करने की इक्षा हुई। इसके बाद उन्होंने बेल और तुलसी के गुण वाले आवंले के पेड़ की पूजा की। तुलसी विष्णु भगवान को प्रिय है और बेल शिव जी को। इस पूजा के बाद माता लक्ष्मी के सामने भगवान विष्णु प्रकट हुए। इसी के बाद से लोग आवंले के पेड़ की पूजा करते हैं।



कब है पूजा का शुभ मुहूर्त
अगर आवंला नवमी के दिन पूजा के शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो 5 नवंबर 2019 को पड़ रहे इस त्योहार के लिए अक्षय नवमी पूर्वाह्न का समय सुबह 6 बजकर 39 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक है। नवमी तिथि इस दिन सुबह 4 बजकर 57 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस नवमी तिथि की समाप्ति के समय पंचांग के हिसाब से 6 नवंबर को सुबह 7 बजकर 21 मिनट पर रखा गया है। अगर आप भी संतान प्राप्ति चाहते हैं या आप खुद को रोगों से मुक्त रखना चाहते हैं तो इस त्योहार को जरूर मनाइये। ये त्योहार हो सकता है आपको संतान का सुख और शरीर का सुख दोनों ही प्रदान कर दे।

మరింత సమాచారం తెలుసుకోండి: