किसी भी व्यक्ति की इक्षा होती है कि वह अपने जीवनकाल में तीर्थों का दर्शन करें, तीर्थों का दर्शन करने से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है ऐसी मान्यता है। हिन्दू धर्म में अगर मोक्ष की प्राप्ति करनी है तो आपको बैकुंठ धाम की शरण में जाना होगा। बैकुंठ धाम को ही मोक्ष प्राप्ति का सर्वोत्तम स्थान माना गया है। अब सवाल है कि आखिर बैकुंठ धाम कहते किसे हैं ? दरअसल बैकुंठ धाम वो जगह है जहां भगवान विष्णु वास करते हैं। इस जग के पालनहार विष्णु की दुनिया ही बैकुंठ धाम है। वहीं कार्तिक महीने की जो चतुर्दशी तिथि है उसी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी कहा जाता है। ऐसा लोगों का कहना है कि अगर आप भगवान विष्णु की पूजा इस दिन करते हैं तो आपको बैकुंठ धाम में स्थान मिलेगा। आखिर कैसे इस दिन पूजा की जाए और क्या है इस तिथि का विशेष महत्व आइए जानते हैं।



क्या है बैकुंठ चतुर्दशी
आपको जानकर हैरानी होगी मगर शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति बैकुंठ चतुर्दशी के दिन शरीर का त्याग करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन अगर भगवान विष्णु और शिव की पूजा आप एक साथ करें तो आपके सारे पाप धुल जाएंगे। अब इस तिथि के पीछे की कहानी आपको बताते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार हुआ यूं कि एक बार भगवान विष्णु ने भगवान शिव को काशी में 1 हजार कमल के पुष्प चढ़ाने का मन बनाया। भगवान शिव ने इसके बाद भगवान विष्णु की परीक्षा लेने के लिए उन फूलों में से एक फूल कम कर दिया। अब इसका उपाय भगवान विष्णु ने ये निकाला कि उन्होंने अपने कमल नयन को फूल की जगह अर्पित किया। ये देखकर भगवान शिव खुद वहां प्रकट हुए। विष्णु जी की भक्ति देखकर भगवान शिव ने कहा कि वे दिन ही बैकुंठ चौदस के दिन के नाम से आगे जानी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस दिन जो भी आपकी पूजा बड़े मन से करेगा उसे सीधा बैकुंठ में जगह मिलेगी।



यह है पूजन विधि
अगर पूजा विधि की बात की जाए तो इस दिन भगवान विष्णु को पूजा के दौरान धूप-दीप, चंदन, श्वेत कमल का फूल जरूर अर्पित करें। भगवान विष्णु का गाय के दूध और मिश्री से अभिषेक भी जरूर करें। अगर आप इस दिन घर में भागवत गीता का पाठ करते हैं तो ये आपके लिए और भी अच्छा होगा।भगवान को भोग लगाने के लिए आप मखाने की खीर तैयार कर लें। पूजा के दौरान आप शिव का जाप करना बिल्कुल भी ना भूलें।

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