भोलेनाथ के बारे में आप सभी को पता है कि उनका स्वभाव कैसा है और वे अपने भक्तों के लिए कितने उदार हैं।इनकी महिमा अपरम्पार है। भोलेनाथ का स्वभाव शांत होता है और ये अपने भक्तों से काफी जल्दी पसंद भी हो जाया करते हैं। भगवान शिव अपने भक्तों कि पुकार जल्दी सुन लेते हैं और वे उन्हें हर कष्ट से मुक्त करा देते हैं। महादेव के भक्त भी इनके बारे में हमेशा सुनने और जानने के लिए बेहद उत्सुक रहते हैं और इस बात से तो तक़रीबन हर कोई बेहतर वाकिफ है कि भोलेनाथ को सबसे प्रिय भांग है।



महादेव को प्रिय हैं ये वस्तुएं
इसके अतिरिक्त ये भी जानते हैं कि महादेव का पसंदीदा फूल क्या है तथा और भी चीजें जो उन्हें पसंद आती हैं वे सब उनके भक्त जानते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भोलेनाथ हमेशा बाघ कि खाल क्यों धारण किए होते हैं। आखिर इसके पीछे की क्या वजह है जो उन्हें बाघ की खाल इतनी प्रिय है। तो चलिए जानते हैं कि क्या है इसके पीछे का कारण। सबसे पहले तो हम आपको एक कहानी के जरिए बताते हैं की ऐसा महादेव जी क्यों करते हैं। शिवपुराण का नाम आपने सुना होगा , तो शिवपुराण में एक कहानी है जिसके मुताबिक एक समय भगवान शिव जी ब्रह्माण्ड की सैर करने के लिए निकले। घूमते घूमते वे एक जंगल की ओर चले गए। इस जंगल में कई सारे ऋषि मुनि अपने परिवार के साथ रहा करते थे। भगवान शिव उधर से निर्वस्त्र हो कर ही जा रहे थे,उन्हें जरा भी ध्यान नहीं था कि उनके शरीर पर कुछ भी नहीं है। तभी शिव जी को देख कर ऋषि मुनियों की पत्नियां उनकी तरफ मोहित होने लगी तथा इसके साथ ही वे मन ही मन में उनकी प्रशंसा करते थक नहीं रही थीं।



जब इस बात की खबर ऋषि मुनियों को हुई कि किसी अनजान पुरुष की ओर उनकी पत्नियां आकर्षित हो रही हैं तो उन्हें काफी क्रोध आया। लेकिन ऋषियों को ये जरा भी नहीं लगा कि जिन्हें वे एक आम इंसान समझ रहे हैं वे भगवान शिव हैं। ऋषियों ने इस अनजान व्यक्ति को सबक सिखाने के मकसद से रास्ते में एक बड़ा सा गड्ढा बना दिया ताकि जब वो व्यक्ति यहां से गुजरे तो धोखे से इस गड्ढे में गिर जाए। तभी शिव जी वहां से गुजरे और उस गड्ढे में जा गिरे। ऋषियों ने जब शिव जी को गड्ढे में गिरा हुआ देखा तो उन्हें सजा दिलाने के बारे में सोच कर उस गड्ढे में एक बाघ को भी गिरा दिया। ताकि ये बाघ शिव जी को मार कर खा जाए लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके ठीक विपरित हुआ, महादेव ने ही उस बाघ को मार कर उसका खाल पहन कर बाहर आ गए। इस घटना के बाद से ही ऋषि मुनियों को ये एहसास होने लगा कि ये कोई साधारण इंसान हो ही नहीं सकता। शिव पुराण की इस कहानी के अनुसार कहा जाता है कि तभी से शिव जी बाघ की खाल धारण किए हुए हैं।

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