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अपने घर में आपने अक्सर देखा होगा कि सबसे पहले आपके माता-पिता या घर के बड़े लोग पूजा करते वक्त सबसे पहले भगवान गणेश को पूजते हैं। आपने कभी इसके पीछे का कारण जानने की कोशिश की। दरअसल इसके पीछे एक खास वजह है। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान गणेश को शुभ कार्यों का देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश को याद किया जाता है। उनकी आराधना की जाती है।
वहीं अगर दिन संकष्ठी चतुर्थी का हो तो भगवान गणेश के पूजन का महत्व और भी बढ़ जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अगर आप संकष्ठी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करते हैं तो आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी।अब सवाल है कि आखिर इस दिन पूजन कैसे किया जाए ? भगवान गणेश को कैसे प्रसन्न किया जाए ? तो आइए आपको सारी बातें तफसील से बताते हैं।

कब है संकष्ठी चतुर्थी ?
संकष्टी चतुर्थी हर महीने कृष्ण या शुक्ल पक्ष के बाद ही पड़ती है। पूर्णिमा के बाद जो चतुर्थी तिथि आती है उसे ही संकष्ठी चतुर्थी कहते हैं। वहीं अमावस्या के बाद जो चतुर्थी आती है उसे विनायक चतुर्थी कहा जाता है। इस साल संकष्ठी चतुर्थी 15 नवंबर को पड़ रही है। इस दिन आप गणेश जी का विशेष पूजन कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। अगर आपको सेहत से जुड़ी समस्या है तब तो आपको यह पूजा जरूर करनी चाहिए। इस पूजा से आपकी यह परेशानी दूर हो सकती है। अगर संकष्टी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त की बात की जाय तो ये तिथि यानी चतुर्थी प्रारंभ हो रही है 15 नवम्बर की शाम 7 बजकर 46 मिनट पर और चतुर्थी की समाप्ति है 16 नवंबर की शाम 7 बजकर 15 मिनट पर। संकष्ठी के दिन चंद्रोदय शाम 7 बजकर 48 मिनट पर होगा।

संकष्ठी चतुर्थी की पूजा विधि जानिए
इस दिन आप अगर व्रत रखकर भगवान गणेश का पूजन करते हैं तो ये आपके लिए बहुत मंगलकारी होगा। पूजा करने के लिए सबसे पहले आप सुबह उठकर सूर्य उगने से पहले साफ जल सर स्नान कर लें। स्नान के बाद आप गणेश जी की पूजा आरम्भ करें। पूजा शुरू करने के लिए आप गणेश जी की प्रतिमा लें और उसके नीचे नीले रंग का कपड़ा बिछाए। ध्यान रखें कि पूजा करते वक्त आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ रहे। भगवान गणेश के आगे दीपक जलाकर उन्हें फूलों की माला चढ़ाएं। इसके बाद उनकी आरती उतारें। आरती के बाद भगवान को लड्डू का भोग लगाएं और प्रसाद सभी लोगों के बीच बांटे।
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