प्रदोष का व्रत हिन्दू धर्म में माने जाने वाले सबसे मुख्य व्रतों में से एक होता है| इस दिन भगवान शिव की उपासना करने का बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है| बता दे, प्रदोष व्रत को प्रदोष कहने का भी एक मुख्य कारण है जिसके पीछे एक बड़ी वजह है, जिसे हम आपको कुछ शब्दों में बताना चाहेंगे| एक समय चन्द्र देव को क्षय रोग हो गया, जिस वजह से उन्हें मृत्यु के समान ही पीड़ा से गुजरना पड़ रहा था| इस दौरान भगवान शिव ने त्रयोदशी के दिन उनकी सभी पीड़ाओं को खत्म कर के उन्हें एक नया जीवन प्रदान किया था|

 

इस दिन को हम प्रदोष या चन्द्र-प्रदोष कहते है, चन्द्र-प्रदोष किस तिथि और वार में लगता है इस चीज़ का भी काफी महत्व होता है| प्रदोष के दिन भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में बैठे होते है और सभी देवी देवता उनका सत्कार कर रहे होते है| अगर इस दिन आप भगवान शिव की उपासना करते है तो आपकी जिंदगी से जुड़े हर तरह के संकट दूर हो जाते है| इस दिन शिव की भक्ति से धन, व्यवसाय, सुख शांति, स्वास्थ्य या अन्य सभी चीज़ों से जुड़ी समस्याएं खत्म हो जाती है|

 

प्रदोष व्रत की तिथि
जैसा की हमने बताया कि प्रदोष व्रत की तिथि और वार का भी काफी महत्व होता है जैसे इस बार दूसरा प्रदोष व्रत 23 दिसंबर, 2019 को लगने वाला है| सोमवार में लगने वाले प्रदोष को सोम प्रदोष कहा जाता है| सोम प्रदोष, प्रदोष व्रत रखने का सबसे शुभ समय होता है| सोमवार का प्रदोष व्रत सुख शांति और मनचाही मनोकामना को पूरा करने वाला होता है| अगर आप प्रदोष व्रत के दिन शिव की अराधना कर रहे है तो अपनी मनोकामना को अपने दिमाग में ज़रूर रखे, इस दिन आपकी सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है| चलिए जानते है कैसे करे, प्रदोष व्रत और क्या है इसके नियम ?

 

 

प्रदोष व्रत कैसे करे व इसके नियम
प्रदोष व्रत, प्रदोष काल यानी की रात के समय करना बेहतर माना जाता है| प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठे, स्नान करे और साफ़ वस्त्र धारण कर ले| आप जब भी पूजा करे, चाहे फिर वो रात हो, या सुबह सबसे पहले उस जगह को ठीक तरह से साफ़ कर लीजिये, जहां पर आप पूजा करना चाहते है| अब आप उस स्थान पर एक शिव लिंग स्थापित कर लीजिये या फिर भगवान शिव की एक ऐसी तस्वीर रख लीजिये, जिसमे गणेश और पार्वती देवी, शिव के समक्ष बैठे हो| ध्यान रहे, पूजा का स्थान और आपका मुख दोनों ही पूर्व दिशा की तरफ होना बेहद ज़रुरी है|


 
पूजा करने से पहले अपने नीचे ऊन का आसन ज़रुर बिछा ले साथ ही पूजा करते समय अपने मन को शांत रखे, किसी तरह की तनाव या कुछ भी अपने दिमाग में ना रखे| किसी भी पूजा को संपन्न करने से पहले हमेशा भगवान गणेश की पूजा की जाती है| इसलिए सबसे पहले भगवान गणेश को स्न्नान करवाए, फिर उनकी पूजा कीजिये| भगवान गणेश को धुप-ध्यान दीजिये साथ ही हल्दी, कूमकूम, चंदन और चावल का सिंदूर लगाइए| जो प्रसाद आपने तैयार किया है उसे भगवान को चढ़ाइए, फूल चढ़ाइए और भगवान से पूजा को अच्छे से सम्पन्न होने की कामना कीजिये|

 

इसके बाद बिलकुल भगवान गणेश की ही तरह भगवान शिव का भी पूजा सम्पन्न करे| भगवान को बैल पत्र और सफ़ेद फूल अर्पित करने का प्रयास कीजिये| अगर आप पहली बार प्रदोष कर रहे है तो अपनी मनोकामना भगवान शिव को बताकर उनसे, इसके बाद कितनी बार आप इस व्रत को दोहराएंगे, इस बात का संकल्प लीजिये| संकल्प लेने के लिए आप बैल पत्र के अंदर सिंदूर की सभी सामग्रियां रख कर भगवान को अर्पित करते हुए संकल्प ले सकते है| अगर आप विधि पूर्वक आत्मा की शांति से भगवान की पूजा करते है तो आपकी मनचाही इच्छा जरुर पूरी होगी| आप पूजा के बाद 21 बार महामृत्युंजय मंत्र का जप ज़रूर करे|


प्रदोष व्रत के दौरान क्या करे, क्या ना करे
पूजा वाले दिन धुम्रपान से बिलकुल दूर ही रहे साथ ही लहसुन, प्याज़ या नॉनवेज आहार का सेवन तो भूल कर भी ना करे| अगर आप खाना खा रहे है तो ध्यान रखे कि किसी एक ही आहार का सेवन करे| जैसे आप रोटी सब्जी खा रहे है तो चावल का सेवन ना करे, या फिर अकेले चावल का ही सेवन करे| आपने जितनी बार प्रदोष व्रत करने का संकल्प किया है इसे उतनी बार जारी रखे| प्रदोष व्रत को बीच में छोड़ने का प्रयास बिलकुल भी ना करे|

 

अगर आपने संकल्प ले रखा है और किसी वजह से आप, किसी प्रदोष व्रत के दिन पूजा नहीं कर पाते है तो आप अपनी जगह किसी पंडित से भी घर में पूजा सम्पन्न करवा सकते है या किसी व्यक्ति से पूजा करवा सकते है| इससे आपका संकल्प नहीं टूटेगा और यह भी आपके व्रत में ही काउंट हो जाएगा| इस दिन अपनी बोली पर ध्यान देवे, सबसे अच्छे से बात करे और जितना हो सके अच्छे कार्य करने का प्रयास कीजिये, इससे भी आपको अच्छे फलों की प्राप्ति होती है|

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