हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार,  हर महीने के भीतर दो चतुर्थी आती है इनमे से पहली वाली शुक्ल पक्ष के दौरान आती है जिसे हम विनायकी चतुर्थी कहते है| इसके अलावा दूसरी चतुर्थी जो की कृष्ण पक्ष में आती है जिसे संकटा चतुर्थी के नाम से जाना जाता है| इस बार संकटा चतुर्थी सोमवार, 13 जनवरी 2020 को है| ज्योतिशास्त्र के अनुसार, माघ महीने में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की संकटा चतुर्थी का हमारे जीवन में काफी ज्यादा महत्व होता है| इस दिन भगवान गणेश जी की अराधना करने का भी काफी अधिक महत्व है| संकटा चतुर्थी पर पूजा पाठ, व्रत, पुण्य और दान धर्म करने से परिवार में सुख शांति व खुशहाली बड़ती है| इस व्रत को ख़ास तौर पर महिलाए अपने सन्तान की दीर्घायु के लिए भी रखती है| आज इस लेख में हम संकटा चतुर्थी के बारे में कुछ जानकारियाँ देने के साथ ही आपको व्रत की विधि के बारे में भी बतायेंगे| 


संकटा चतुर्थी का महत्व
संकटा चतुर्थी का हमारे जीवन में काफी अधिक महत्त्व बताया गया है| ज्यादातर महिलाए इस व्रत को अपनी सन्तान सुरक्षा और उनकी  दीर्घायु के लिए रखती है| इस दिन भगवान गणेश की अराधना और चंद्रमा उदय का पूजन करने से भी घर में सुख शांति और समृद्धि आती है| इस दिन व्रत रखने से मनुष्य की सभी मनोकामना भी पूर्ण होती है| इस दिन दान और पुण्य करने से भी इंसान को अच्छे फलों की प्राप्ति होती है|


पूजा की विधि और शुभ महूर्त
इस बार संकटा चतुर्थी सोमवार, 13 जनवरी 2020 को है| इस दिन तिथि प्रारम्भ होने का समय सोमवार, 13 जनवरी 2020 शाम 5:32 बजे से लेकर अगले दिन मंगलवार, 14 जनवरी 2020 दिन 2:49 बजे तक रहेगी| अक्सर महिलाए पूरे दिन इस व्रत को करती है और फिर अगले दिन ही इस व्रत को समाप्त करती है| इस दिन चन्द्रमा उदय पूजन का समय सोमवार, 13 जनवरी 2020 को रात 8:33 बजे होगा|


 
अब बात कर लेते है पूजा की विधि के बारे में, तो सबसे पहले आपको संकटा चतुर्थी के दिन जितना जल्दी हो सके सुबह उठ कर सबसे पहले स्नान कर लेना है| इसके बाद पूजा पाठ करने के लिए पूजा वाले स्थान पर पीले रंग का कपड़ा बिछा कर उस पर भगवान गणेश की तस्वीर को रख देना है| इसके बाद आपको व्रत का संकल्प लेते हुए अपने व्रत को आरम्भ करना है| इतना कर लेने के बाद आपको जल, अक्षत, दूर्वा, तिल के लड्डू, पान, सुपारी, फूल से भगवान गणेश का विधि पूर्वक पूजन करना है|

 

पूजा से पहले गणेश जी को लड्डू चढाने के साथ ही उनके सामने काले तिल का एक पहाड़ बना ले उसके बाद ही पूजा आरम्भ करे| ध्यान रहे कि पूजा में तुलसी के पत्ते या चावल का उपयोग ना करे| व्रत को रात के समय बिलकुल ना तोडे आप इसे ऊपर बताई गयी तिथि के अनुसार अगले दिन तक जारी रखें| व्रत के दिन फला हार और खिचड़ी का सेवन किया जा सकता है लेकिन ध्यान रहे कि इस दिन नमक का सेवन बिलकुल भी ना करे|

 

इतना सब कुछ कर लेने के बाद ऊपर बताये गए चन्द्र उदय के समय के अनुसार, चंद्रमा के उगते ही उनकी रात में विधि पूर्वक पूजा कीजिये| चन्द्रमा की पूजा करने के बाद उन्हें कच्चा दूध, काले तिल और कुमकुम का जल बनाकर उन्हें अर्पण करे| बस इतना कर लेने के बाद आपकी पूजा समाप्त होती है| अगर आप इस दिन व्रत कथा में जाते है या आयोजित करते है तो व्रत का विशेष लाभ प्राप्त होता है|

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