हमारा भारत देश जो की विविधताओं से भरा हुआ है, यहाँ पर किसी एक धर्म या जाती समुदाय के लोग ही नहीं बल्कि कई सारे धर्म आदि से संबंध रखने वाले लोग रहते हैं, ऐसे में समय समय पर हर कोई अपने अपने हिसाब का पर्व त्योहार आदि मानता है। बताते चलें की हिन्दू धर्म  माताएँ अपने संतान की लंबी आयु के लिए जीवित्पुत्रिका का व्रत करती हैं, यह व्रत निर्जला रखा जाता हैं| दरअसल यह व्रत तीन दिनों का होता है, सप्तमी का दिन नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है, अष्टमी को निर्जला व्रत रखा जाता है और फिर नवमी के दिन व्रत का पारण किया जाता हैं। बता दें कि इस साल पंचांग और पंडित के एकमत ना होने के कारण यह व्रत दो दिन यानि 21 सितंबर और 22 सितंबर को पड़ रहा हैं। जो लोग 21 सितंबर को व्रत रखेंगे वो 22 सितंबर को दोपहर में तथा जो 22 सितंबर को व्रत रखेंगे वो 23 सितंबर की सुबह व्रत का पारण करेंगी। ऐसे में आज हम आपको जीवित्पुत्रिका व्रत के पूजा का शुभ मुहूर्त, सरगी में क्या खाएं और व्रत के पारण के शुभ मुहूर्त के बारे में बताने जा रहे हैं।


जीवित्पुत्रिका व्रत के सरगी में क्या खाएं
जीवित्पुत्रिका व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि से ही हो जाती हैं, इसे नहाय-खाय कहा जाता हैं। इस दिन माताएँ दही, चीनी, खीर या फिर उठगन खा ले, इसके बाद दोबारा भोजन ना करे और फिर नोनी का साग, महुआ की रोटी, आपके यहाँ जो भी सरगी में खाया जाता हैं वो खा ले| ये सब खाने के बाद आपको कुछ नहीं खाना हैं, बता दें कि 22 सितंबर को अष्टमी तिथि हैं, यह पूरा दिन व्रत का दिन हैं, इस दिन माताएँ निर्जला व्रत रखती है।



जीवित्पुत्रिका व्रत के पूजा का शुभ मुहूर्त
सप्तमी तिथि 21 सितंबर यानि आज हैं और अष्टमी तिथि 22 सितंबर को हैं। बता दें किजीवित्पुत्रिका व्रत के पूजा का शुभ मुहूर्त 22 सितंबर 2019, रविवार को शाम 6 बजकर 13 मिनट से लेकर 7 बजकर 43 मिनट तक का हैं, इस समय के अंदर माताएँ जीवित्पुत्रिका व्रत के पूजा को संपन्न करे और अपने संतान की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करे।


जीवित्पुत्रिका व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त
पूजा करने के बाद माताएँ अगले दिन यानि नवमी के दिन व्रत का पारण करती हैं और पारण करने का शुभ मुहूर्त 23 सितंबर 2019, सोमवार को सुबह 6 बजकर 12 मिनट से लेकर 7 बजकर 24 मिनट तक का हैं, इस शुभ मुहूर्त में माताएँ जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण कर सकती हैं।


जीवित्पुत्रिका व्रत के पारण में क्या खाएं
व्रत का पारण करने के बाद सबकुछ खाने का विधान हैं लेकिन यदि आपने डलियाँ चढ़ाया हैं तो डलियाँ का प्रसाद ग्रहण करे और प्रसाद में सबसे पहले खीरा खाएं, इसके बाद इस दिन नोनी का साग, महुआ की रोटी आदि खा सकते हैं। दरअसल नोनी का साग, महुआ की रोटी नहाय-खाय के दिन भी खाया जाता है, लेकिन आपके यहाँ जो भी प्रचलन में वो ही चीज खाएं।


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