13 अक्टूबर 2019, रविवार को शरद पुर्णिमा पड़ रहा हैं, हिन्दू धर्म में शरद पूर्णमा का विशेष महत्व होता हैं और ऐसी मान्यता हैं कि शरद पुर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। शरद पुर्णिमा अन्य पूर्णिमाओं के तुलना में काफी लोकप्रिय हैं और ऐसी मान्यता हैं कि यहीं वो दिन है, जब चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्‍त होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है। ऐसे में आज हम आपको शरद पुर्णिमा के दिन खीर कैसे रखे, पूजा और इसके महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।


कैसे रखे खीर चंद्रमा की प्रकाश में
शरद पुर्णिमा के रात को आप चावल या फिर साबूदाने की खीर बनाए, यदि आप खीर गाय के दूध मे बनाते हैं तो यह आपके लिए और भी फलदायी होगा, खीर आप जितना भी अच्छा बना सके यानि की आप उसमे मेवे, चीनी आदि चीजों का इस्तेमाल करके बनाए। खीर बनाने के बाद इसे एक बर्तन में ले और इस खीर को चंद्रमा की रोशनी में लेकर जाए, इसे किसी जाली से ढक कर पूरी रात रख दे, यदि आप पूरी रात नहीं रखते हैं तो आप इसे एक से दो घंटे के लिए जरूर रख दे। अब सुबह उठकर इस खीर का इस्तेमाल आप पूरे परिवार के साथ करे, इससे स्वास्थ्य लाभ मिलता हैं क्योंकि इस दिन चंद्रमा की रोशनी से अमृत की बरसात होती हैं।



शरद पुर्णिमा की मध्य रात्रि में चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए, इसके लिए आप खुद को स्वच्छ करे और फिर अपने घर के बालकनी या छत पर जाए। अब चन्द्र भगवान को अर्घ्य दे, अर्घ्य देने के लिए आप पानी में थोड़ा सा खाड़ या शक्कर का भूरा मिलाकर दे| अर्घ्य देने के बाद आप बनाए हुये खीर का भोग चन्द्र भगवान को लगाए। इसके अलावा आप इस शरद पुर्णिमा की रात्री को दिये अवश्य जलाए, इससे देवी माँ लक्ष्मी का आगमन होता हैं, दिये जलाने की लिए आप आटे के सौ दिये बनाकर अपने छत पर जलाए।


क्या दान करे शरद पुर्णिमा के दिन
शरद पुर्णिमा के दिन दान करना लाभकारी होता हैं, दान करने के लिए आप कांसे के पात्र में घी भरकर, साथ में थोड़ा सा सोना किसी ब्रह्मण को दे। ऐसा करने से आपके शरीर में जो भी रोग होते हैं वो दूर हो जाते हैं क्योंकि चंद्रमा की रोशनी हमारे शरीर को ठंडक पहुंचाते हैं। यदि आपकी मनोकामना हैं तो इस दिन अपने इष्टदेव को सफ़ेद वस्त्र, सफ़ेद रंग का भोग अर्पित करे, इससे आपकी मनोकामना पूरी हो जाती हैं।



शरद पूर्णिमा का महत्व
 शरद पूर्णिमा की रात को भगवान श्री कृष्‍ण हर गोपी के लिए कृष्ण बने थे, इस रात को भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ नृत्य किया, इस लिए इस पुर्णिमा को महारास पुर्णिमा कहा जाता हैं। शरद पुर्णिमा के दिन ही कृष्ण भगवान ने कामदेव की सुंदरता का घमंड तोड़ा था, इस दिन व्रत आदि करने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएँ पूरी होती है।

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