केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने फैसला किया है कि आईआईटी में शैक्षिक रूप से कमजोर छात्रों को तीन वर्षों के बाद हटने का विकल्प दिया जाएगा, उन्हें बीएससी की डिग्री दी जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अगुवाई में आईआईटी काउंसिल की शुक्रवार को हुई बैठक में ये निर्णय लिया गया। देश के सभी आईआईटी में बीटेक की पढ़ाई कर रहे छात्रों को अगले सत्र से तीन साल बाद बीएससी की डिग्री लेकर पढ़ाई बीच में छोड़ने का विकल्प मिलेगा। अलग-अलग आईआईटी इसके अपने लिए तौर-तरीके तय करेगी।

यह प्रावधान उन छात्रों के लिए किया जा रहा है जो कमजोर पड़ रहे हैं या किन्ही अन्य कारणों से चार साल की पूरी पढ़ाई करने के इच्छुक नहीं हैं। 


बीटेक कर रहे जो छात्र तीन साल में पढ़ाई छोड़ने का विकल्प चुनेंगे उनके लिए बीएससी की नई डिग्री सृजित की जाएगी। काउंसिल आईआईटी की वैश्विक रैकिंग को सुधारने के उपायों पर भी चर्चा की गई। विदेशी छात्रों एवं शिक्षकों की संख्या बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। 



आईआईटी में छात्रों को उद्यमिता की भी ट्रेनिंग दी जाएगी। उद्यमिता का एक अलग ऐच्छिक पेपर होगा। जिस पर क्रेडिट दिए जाएंगे। पिछले कुछ दशकों में आईआईटी छात्रों में स्टार्टअप को लेकर बढ़े रुझान के चलते ये फैसला लिया गया है।



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