फेमिना मिस इंडिया वर्ल्ड 2019 का खिताब जीतने वाली राजस्थान की सुमन राव की ख्वाहिश समाज में जेंडर इक्वॉलिटी स्थापित करने की है। वह आगे चलकर इसी के लिए काम करना चाहती हैं। यहां सुमन ने हमसे अपनी जीत की खुशी, मिस इंडिया वर्ल्ड बनने के सफर और मिस वर्ल्ड की लेकर तैयारी को लेकर खास बातचीत की :

आप इस खुशी को किसके साथ सेलिब्रेट कर रही हैं? अपनी सफलता का क्रेडिट किसे देना चाहेंगी?
मैं खुशनसीब हूं, क्योंकि अनाउंसमेंट के वक्त मेरे पैरंट्स वहां मौजूद थे। मेरे जीतने के बाद वे सभी स्टेज पर आए और उन्होंने मेरे साथ इस स्पेशल मोमेंट को शेयर किया। उसके बाद से मैं अभी तक किसी से भी नहीं मिल पाई हूं। फिलहाल हम तीनों विनर्स ही एक-दूसरे के साथ इस खुशी को सेलिब्रेट कर रहे हैं। रही बात क्रेडिट की, तो यह मैं अपनी मेहनत और लगन के अलावा अपने पैरंट्स को दूंगी, जिन्होंने मुझे सपॉर्ट किया और टाइम्स ग्रुप का भी धन्यवाद, जिसने हमें इतना बड़ा प्लैटफॉर्म दिया। अगर इन दोनों का साथ नहीं होता, तो यह मुमकिन न होता। 

क्या आप बचपन से ही मिस इंडिया बनने का सपने देखा करती थीं?
सच कहूं तो बचपन में मेरा ऐसा कोई सपना नहीं था। जब मानुषी छिल्लर मिस इंडिया बनीं और उन्होंने ग्लोबल लेवल पर हमें रिप्रेजेंट किया, तो लगा कि हम भी ऐसा कर सकते हैं। उनसे प्रेरित होकर ही मुझे इंटरेस्ट आया और फिर मैंने धीरे-धीरे मिस इंडिया के बारे में पता करना शुरू किया कि किस तरह से इसमें जाना है और क्या प्रॉसेस है। मैं जितनी गहराई से इन चीजों में जाती गई, उतना ही मेरा इंटरेस्ट इसकी तरफ बढ़ता गया। फिर पिछले 2 सालों में मैं इसे लेकर ज्यादा सीरियस हो गई।  

आप कहां की रहने वाली हैं? अपने बारे में थोड़ा बताएं? 
मेरा जन्म राजस्थान के एक छोटे से गांव में हुआ था। फिर हमारी फैमिली मुंबई शिफ्ट हो गई। मेरी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई से लेकर स्कूल-कॉलेज तक सब मुंबई से ही हुआ है। मैं मुंबई से ही सीए की तैयारी कर रही हूं। 

कॉन्टेस्ट के इस पूरे सफर के दौरान कभी ऐसा महसूस हुआ कि आप जीत नहीं सकतीं? 
जब हमारी 40 दिन की ट्रेनिंग चल रही थी, तो ऐसे भी मोमेंट आए, जब मुझे लगा कि शायद मैं यह नहीं कर पाऊंगी या मैं नहीं बन पाऊंगी मिस इंडिया। मैं बहुत लो फेज से गुजरी, लेकिन फिर खुद को ही संभालते हुए समझाना पड़ता था। मुझे अपनी जो भी कमी लगती थी, मैं उसे हमेशा इंप्रूव करने की कोशिश में लग जाती थी। मेरी एक क्वॉलिटी यह थी कि मुझे कोई भी चीज कल पर टालना पसंद नहीं था। अगर कुछ बदलाव लाना हो, तो मैं उसे फौरन आजमाकर बदलने की कोशिश करती थी। जैसे-जैसे कॉम्पिटिशन बढ़ता गया, वैसे-वैसे मेरा कॉन्फिडेंस भी इंप्रूव होता गया। उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और यहां तक पहुंच गई। 

जब आपने मिस इंडिया में भाग लेने की बात दोस्तों और फैमिली से की, तो उनका क्या रिऐक्शन था? 
पहले तो सभी हैरान हो गए। उन्हें लगा कि अच्छी खासी सीए की पढ़ाई छोड़कर मैं क्या फितूर पाल रही हूं! मैंने जिस लोकल ब्यूटी पैजेंट में हिस्सा लिया था, वहां मैं फर्स्ट आई थी। इसके बाद मिस इंडिया में हिस्सा लेने के लिए मैंने खुद पर एक साल काम किया। इस एक साल में मैं छोटी-मोटी मॉडलिंग किया करती थी। इस बीच मुझे कई लोगों ने यह समझाने की कोशिश की कि मैं बेकार अपना वक्त खराब कर रही हूं। मेरा फ्यूचर इसमें नहीं है, मुझे यह सब छोड़ कर पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। देखिए मैं सीए को कहीं भी कम नहीं समझती, लेकिन मिस इंडिया मेरा पैशन बन चुका था। मुझे अपने आप को साबित करना था, इसलिए मैंने ज्यादा कैलकुलेशन न करते हुए अपने दिल की सुनी। 

अब आप देश को इंटरैशनल लेवल पर रिप्रेजेंट करने जा रही हैं। कितना प्रेशर फील कर रही हैं?
कुछ दिन पहले ही तो मैंने मिस इंडिया का ताज पहना है। अभी मैं उस खुशी को इंजॉय करना चाहती हूं। कुछ दिनों बाद मिस वर्ल्ड के लिए कड़ी ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी। उस वक्त तैयारी जोरों पर रहेगी। हां, प्रेशर तो फील होता है, क्योंकि मेरे कंधे पर एक देश की जिम्मेदारी होगी। लेकिन मैं इस प्रेशर को पॉजिटिव तरीके से लेना चाहती हूं। फोकस यही होगा कि मैं कितनी मेहनत कर सकती हूं। वहां सुमन नहीं, बल्कि इंडिया के नाम से पहचानी जाऊंगी। कुछ भी सही या गलत होता है, तो देखा जाएगा कि यह इंडिया ने किया है। मैं इसे प्रेशर का नाम नहीं देना चाहूंगी, बल्कि कहूंगी कि मुझे एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई है, जिसे मुझे पूरी ईमानदारी से निभाना है। 



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