केंद्र ने कर्नाटक के लड़ाका समुदाय कुर्ग के कोडवाओं को बिना लाइसेंस पिस्तौल, रिवॉल्वर और दोनाली शॉटगन जैसे आग्नेयास्त्र रखने की ब्रिटिश काल से चली आ रही छूट को जारी रखने का फैसला किया है. कोडवा समुदाय के लोग ‘कालीपोढ' उत्सव पर अस्त्रों का पूजन करते हैं और सरकार ने समुदाय की सांस्कृतिक एवं धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर फैसला किया है.



यह समुदाय कर्नाटक के कुर्ग क्षेत्र से ताल्लुक रखता है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार जिन लोगों को यह छूट दी गई है, उनमें कुर्ग समुदाय का प्रत्येक व्यक्ति शामिल है. कोडवा या कुर्ग देश में एकमात्र ऐसा समुदाय है जिसे बिना लाइसेंस आग्नेयास्त्र रखने की अनुमति है. यह छूट 2029 तक 10 साल के लिए विस्तारित की गई है.



अधिकारियों ने बताया कि कोडवाओं को यह छूट ब्रिटिश काल से ही मिलती रही है और केंद्र सरकार ने शस्त्र कानून के तहत जारी नियमों में छूट प्रदान की है. 



गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि कोडवा लोगों को एक सदी से अधिक समय से यह छूट मिलती रही है क्योंकि उनके आग्नेयास्त्रों का दुरुपयोग कभी अपराधों, राष्ट्र विरोधी या राज्य विरोधी गतिविधियों में नहीं हुआ है. उल्लेखनीय है कि फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा और जनरल के एस थिमैया कुर्ग समुदाय से ही थे जिन्होंने भारतीय सेना का नेतृत्व किया.

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