नयी दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार काे कहा कि दक्षिण-पूर्वी एवं पूर्व एशिया के 16 देशों के बीच मुक्त व्यापार व्यवस्था के लिए प्रस्तावित क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) समझौते पर दस्तखत नहीं करने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और हर परिस्थिति में राष्ट्र हित सुनिश्चित करने के दृढ़ संकल्प का परिणाम है।


शाह ने ट्वीट कर कहा, “भारत का आरसीईपी समझौते पर दस्तखत नहीं करने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और हर परिस्थिति में राष्ट्र हित सुनिश्चित करने के दृढ़ संकल्प का परिणाम है। इससे हमारे किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, डेयरी एवं विनिर्माण क्षेत्र, फार्मास्युटिकल, इस्पात और रसायन उद्योग को समर्थन मिलेगा।


उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वर्षों से यह कड़ा रुख रहा है कि अगर हमारे हितों का ध्यान नहीं रखा गया तो हम समझौता नहीं करेंगे और यह अतीत की तुलना में स्वागत योग्य कदम है जब कमजोर संप्रग सरकार व्यापार के मुद्दे पर झुक गयी थी और राष्ट्रीय हितों की रक्षा नहीं कर सकी।” गौरतलब है कि श्री मोदी ने आरसीईपी समझौते को भारत के करोड़ों लोगों के जीवन एवं आजीविका के प्रतिकूल बताते हुए उस पर हस्ताक्षर करने से आज साफ इन्कार कर दिया। 


मोदी ने तीसरी आरसीईपी शिखर बैठक में दो टूक शब्दों में भारत का फैसला सुना दिया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि यह निर्णय मौजूदा वैश्विक परिस्थिति तथा समझौते की निष्पक्षता एवं संतुलन दोनों के आकलन के बाद लिया गया है। भारत को अपेक्षा थी कि बातचीत से एक निष्पक्ष एवं संतुलित निष्कर्ष निकलता लेकिन हमने पाया कि ऐसा नहीं हो सका इसलिए हमने अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रख कर यह निर्णय लिया है।


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