सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है कि 31 दिसंबर के बाद 2000 रुपये के नोट बंद होने जा रहे हैं. यह खबर ऐसी है जिसे सुनकर हर कोई हैरान है. लोग खबर की सच्चाई जानना चाह रहे हैं, वायरल मैसेज में कहा जा रहा है कि दो हजार रुपये का नोट बंद हो जाएंगे और उसके बदल फिर 1000 रुपये के नए नोट जारी किए जाएंगे.

 

 


दरअसल ब्‍लैकमनी रोकने और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए 8 नवंबर 2016 की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. इसके बाद 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट अवैध हो गए थे. कैश की किल्लत को कम करने के लिए सरकार ने नोटबंदी के साथ ही 2000 रुपये के नोट जारी किए थे.

 

 

 

क्या सच में 2000 रुपये के नोट बंद हो रहे हैं? यह मामला संसद तक पहुंच गया और आखिर में सरकार को इस पर सफाई देनी पड़ी है. वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में बताया कि 2000 रुपये के नोट को बंद करने का कोई इरादा नहीं है.

 

 

 

अनुराग ठाकुर ने सोशल मीडिया में चल रही खबर को अफवाह बताया. उन्होंने कहा कि जिस तरह से बाजार में 2000 रुपये के नोट मौजूदा समय में चल रहे हैं, आगे भी चलते रहेंगे. उन्होंने कहा कि 2000 रुपये के नोट को बंद करने की अभी कोई जरूरत नहीं है.

 

 

 

अनुराग ठाकुर के बयान से साफ हो गया है कि सोशल मीडिया पर जो दावा किया जा रहा है कि 31 दिसंबर 2019 से 2 हजार रुपये के नोट बंद होने जा रहे हैं, यह केवल अफवाह है. इसके साथ ही इस खबर की भी पुष्टि हो गई कि हाल के दिनों में 2000 रुपये का नोट बंद नहीं हो रहा है और न ही 1 हजार रुपये का नोट मार्केट में आने जा रहा है.

 

 

 


इसके अलावा करेंसी सर्कुलेशल के सवाल पर वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने सदन को बताया है कि मार्च, 2019 तक करंसी सर्कुलेशन 21 लाख करोड़ को पार कर गया है. इससे पहले मार्च 2018 में यह आंकड़ा करीब 18 लाख करोड़ था. वहीं मार्च 2017 में करंसी सर्कुलेशन करीब 13 लाख करोड़ था. जबकि नोटबंदी से ठीक पहले मार्च 2016 में इकोनॉमी में करंसी सर्कुलेशन करीब 16.41 लाख करोड़ था.

 

 

 

इसका मतलब ये हुआ कि नोटबंदी के 3 साल के भीतर करंसी सर्कुलेशन में 8 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो गया है. इस साल मार्च तक करंसी सर्कुलेशन का ये आंकड़ा नोटबंदी से पहले (मार्च 2016) से भी अधिक है.

 

 

 

गौरतलब है कि पीएम मोदी ने नोटबंदी का ऐलान करते हुए कहा था कि आतंकवाद को फंडिंग रोकने, भ्रष्टाचार कम करने और ब्लैकमनी पर लगाम लगाने के लिए ये फैसला लिया गया है. हालांकि इसके बाद साल 2017 में रिजर्व बैंक ने बताया था कि करीब 99 फीसदी नोट वापस मिल गए हैं.

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