पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ को एक विस्तृत फैसले में मौत की सजा सुनाने वाली पाकिस्तान की विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि मुशर्रफ को फांसी दिये जाने से पहले उनकी मौत हो जाती है तो उनके शव को इस्लामाबाद के सेंट्रल स्क्वायर पर खींचकर लाया जाए और तीन दिन तक लटकाया जाए। मंगलवार को मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने वाली तीन सदस्यीय पीठ के प्रमुख और पेशावर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ ने 167 पन्नों का विस्तृत फैसला लिखा है।

 

उन्होंने लिखा कि फांसी दिये जाने से पहले मुशर्रफ की मौत होने पर भी पूर्व राष्ट्रपति को फांसी पर लटकाया जाना चाहिए। फैसले के अनुसार, ‘‘हम कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश देते हैं कि भगोड़े/दोषी को गिरफ्तार करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी जाए और सुनिश्चित करें कि कानून के हिसाब से सजा दी जाए। अगर वह मृत मिलते हैं तो उनकी लाश को इस्लामाबाद के डी चौक तक खींचकर लाया जाए तथा तीन दिन तक लटकाया जाए।’’

 

अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद मुशर्रफ के समर्थकों ने देश के विभिन्न हिस्सों में उनके समर्थन में छोटी रैलियां निकाली। मुशर्रफ पर संविधान को निष्प्रभावी बनाने और पाकिस्तान में नवम्बर 2007 में संविधानेतर आपातकाल लगाने का आरोप था। यह मामला 2013 से लंबित था।उनकी पार्टी की ओर से जारी एक वीडियो में मुशर्रफ ने कहा, ‘‘ इस तरह के फैसले का कोई और उदाहरण नहीं है जब न तो प्रतिवादी को और न ही उसके वकील को अपनी बात रखने का मौका दिया गया हो।’’ उन्होंने कहा कि अदालत ने 2014 से 2019 के बीच उन पर मुकदमा चलाया और दुबई में बयान दर्ज करने के उनके आग्रह को भी ठुकरा दिया था।

 

मुशर्रफ इलाज के लिए देश से बाहर गए थे और 2016 से ही वह दुबई में रह रहे हैं। मुशर्रफ ने कहा कि अदालत के फैसले पर सवालिया निशान है और इसमें कानून का पालन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं यह कहूंगा कि इस मामले की संविधान के तहत सुनवाई की कोई जरूरत नहीं थी लेकिन फिर भी उस पर सुनवाई हुई क्योंकि कुछ लोगों के मन में मेरे प्रति निजि प्रतिशोध की भावना है और एक व्यक्ति को इस मामले में निशाना बनाया गया।’ बिना किसी का नाम लिए हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने उनके खिलाफ काम किया, वह आज बड़े-बड़े पदों पर हैं और उसका दुरुपयोग कर रहे हैं।

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