24 दिसंबर को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया कि देश में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर (National Population Register- NPR) को अपडेट किया जाएगा। 12 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद से ही देशभर में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी एनपीआर और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं।


एनपीआर और एनआरसी में फर्क क्या है
एनआरसी (NRC) असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सूची है जिसे असम समझौते को लागू करने के लिये तैयार किया गया है।
इसमें केवल उन भारतीयों के नाम को शामिल किया गया है जो 25 मार्च, 1971 के पहले से असम में रह रहे हैं।


उसके बाद असम आने वालों को बांग्लादेश वापस भेजा जा सकता है।
एनआरसी के विपरीत, एनपीआर (NPR) नागरिकता गणना अभियान नहीं है। इसमें छह महीने से अधिक समय तक भारत में रहने वाले किसी विदेशी को भी इस रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा।
एनपीआर के तहत असम को छोड़कर देश के अन्य सभी क्षेत्रों के लोगों से संबंधित सूचनाओं का संग्रह किया जाएगा।

 

Image result for क्या अंतर है राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर में


राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर
एनपीआर ‘देश के सामान्य निवासियों’ की एक सूची है। गृह मंत्रालय के मुताबिक, ‘देश का सामान्य निवासी’ वह है जो कम-से-कम पिछले छह महीनों से स्थानीय क्षेत्र में रहता हो या अगले छह महीनों के लिये किसी विशेष स्थान पर रहने का इरादा रखता है। एनपीआर का संचालन स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर किया जा रहा है।


एनपीआर का विचार कहां से आया?
एनपीआर का विचार यूपीए शासनकाल के समय वर्ष 2009 में तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा लाया गया था। लेकिन उस समय नागरिकों को सरकारी लाभों के हस्तांतरण के लिए सबसे उपयुक्त आधार प्रोजेक्ट का इससे टकराव हो रहा था। एनपीआर के लिए डाटा को पहली बार वर्ष 2010 में जनगणना-2011 के पहले चरण, जिसे हाउस लिस्टिंग चरण कहा जाता है के साथ एकत्र किया गया था। वर्ष 2015 में इस डाटा को एक हर घर का सर्वेक्षण आयोजित करके अपडेट किया गया था।


एनपीआर में कैसी जानकारी मांगी जाएगी?
एनपीआर में जनसांख्यिकीय डाटा को एकत्रित किया जाएगा।
जनसांख्यिकीय डाटा को 15 अलग-अलग श्रेणियों में रखा जाएगा, जिनमें नाम, जन्म स्थान, शिक्षा और व्यवसाय जैसी जानकारी भी शामिल है।


राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में 15 व्यक्तिगत जानकारियां मांगी जाएंगी:
नाम
जन्मतिथि
राष्ट्रीयता
वर्तमान पता
स्थायी पता
जाति
धर्म
माता-पिता
वैवाहिक स्थिति
वर्तमान निवास का समय
व्यवसाय इत्यादि।


एनपीआर और आधार नंबर के बीच संबंध
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर सामान्य निवासियों का एक रजिस्टर है। इसमें एकत्र किए गए डाटा को आधार कार्ड जारी करने और इनके दोहराव को रोकने के लिये भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) को भेजा जा सकता है।


सरकार को नागरिकों की इतनी जानकारी क्यों चाहिए?
प्रत्येक देश में प्रासंगिक जनसांख्यिकीय विवरण के साथ अपने निवासियों का व्यापक पहचान डाटाबेस होना चाहिए। यह सरकार को बेहतर नीतियां बनाने और राष्ट्रीय सुरक्षा में भी मदद करता है। लगभग सभी विकसित देशों में ऐसा किया जाता है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में अंतिम निवास स्थान, पासपोर्ट नंबर, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर, वोटर आईडी कार्ड और मोबाइल नंबर को भी अद्यतन आंकड़ों के रूप में शामिल किया जा सकता है। इन आंकड़ों को वर्ष 2010 के राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में शामिल नहीं किया गया था।

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