नयी दिल्ली। आतंकियों की मदद करने के आरोपी बर्खास्त डीएसपी दविंदर सिंह के बारे में नया खुलासा हुआ है। मिली जानकारी के अनुसार दविंदर आतंकी संगठन से 'सैलरी' ले रहा था। 11 जनवरी को आतंकी नवीद मुश्ताक की मदद के लिए गिरफ्तार दविंदर के इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA कर रही है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार दविंदर ना सिर्फ नवीद की आवाजाही और छिपने के लिए ना सिर्फ आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन से पैसे लिये बल्कि पूरे वर्ष मदद करने के लिए नियमतः पैसे लेता था।

रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने बताया कि जब दविंदर पकड़ा गया तब वह नवीद को सर्दी में रुकवाने के लिए जम्मू लेकर जा रहा था। जिसके बाद नवीद वहां से पाकिस्तान जाता।

अधिकारी ने जानकारी दी कि दविंदर 20-30 लाख रुपये के लिए समझौता कर रहा था। वह पहले भी नवीद को जम्मू लेकर जाता था लेकिन उसे पूरी पेमेंट नहीं की गई थी। कई साल से नवीद के संपर्क में रह चुका दविंदर उसके पेरोल पर काम करता था। वह नियमतः हिजबुल से पैसा लेता था।

 

पूर्व निर्दलीय विधायक के संपर्क में था

वहीं दविंदर सिंह के साथ गिरफ्तार आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के स्वयंभू कमांडर नवीद बाबू ने अपने संबंधों की जानकारी उगलना शुरू कर दिया है और पूछताछ में उसने बताया कि वह हाल में भंग विधानसभा के निर्दलीय विधायक के संपर्क में था। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

नवीद उर्फ बाबू जिसका पूरा नाम सैयद नवीद मुस्ताक अहमद है, मौजूदा समय में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में है। एनआईए उस मामले की जांच कर रही है जिसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस का उपाधीक्षक दविंदर सिंह शामिल है और 11 जनवरी को नवीद सहित आतंकवादियों को घाटी से बाहर पहुंचाने में मदद करने के लिए गिरफ्तार किया गया था।

अधिकारियों के मुताबिक नवीद ने दावा किया है कि उत्तरी कश्मीर में आतंकवादियों का मजबूत ठिकाना बनाने के लिए वह विधायक के नियमित संपर्क में था और छिपने के संभावित इलाके की तलाश कर रहा था। जम्मू कश्मीर विधानसभा में तीन निर्दलीय विधायक थे। दविंदर सिंह और नवीद के अलावा खुद को वकील बता रहे रफी अहमद रादर और इरफान शफी मीर को उसी दिन काजीगुंड में श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग से गिरफ्तार किया गया।

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