रहीमदास ने कहा था 'रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय, टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गांठ परी जाय।' अखिलेश यादव का सियासी अतीत और वर्तमान इसी के आसपास झूल रहा है। समाजवादी पार्टी (एसपी) को फिर से संजीवनी देने की कवायद में परिवार में 'एका' की कोशिशें भी उच्च स्तर पर शुरू हो गईं हैं लेकिन राह आसान नहीं है। शिवपाल खेमे का कहना है कि अब तक उन तक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है। 10 जून के बाद वह अपनी संगठनात्मक बैठकों के जरिए आगे की तैयारी में जुटेंगे। 


सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विक्रमादित्य मार्ग स्थित सरकारी घर खाली करने वाले मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव फिर विक्रमादित्य मार्ग पर वापस आ चुके हैं। लेकिन, बंगला सरकारी नहीं निजी है। शिवपाल यादव भी पास में ही रहते हैं। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद मुलायम और शिवपाल की मुलाकातें भी हुई हैं। हालांकि, घर की नजदीकी अभी दिलों की 'दूरियां' कम नहीं कर पाई है। 


उम्मीदें भी, सवाल भी 
मुलायम से लेकर अखिलेश तक एसपी के साथ निष्ठा बनाए रखने वाले एक वरिष्ठ नेता का कहना है परिवार की एकजुटता वक्त की जरूरत है। लगातार तीन बड़ी हार के बाद पार्टी अब अपने सबसे बुरे दौर में है। इसलिए आपसी मतभेद भुलाकर सबको साथ चलना होगा। मुलायम इसके लिए कोशिश भी कर रहे हैं। लेकिन अखिलेश और शिवपाल इसको लेकर अभी बहुत सहज नहीं है। सूत्रों का कहना है कि जब शिवपाल एसपी छोड़कर गए थे तो अखिलेश की सियासी स्थिति बहुत मजबूत थी। 
विधानसभा के बाद लोकसभा में भी करारी हार के बाद अखिलेश पार्टी के अंदर और बाहर दोनों ओर से निशाने पर हैं। ऐसी स्थिति में शिवपाल की वापसी अखिलेश के कमजोर होने और उनके पहले के फैसले को गलत होने पर मुहर के तौर पर मानी जाएगी। दूसरे, अखिलेश इस समय एसपी के सर्वेसर्वा हैं, शिवपाल के आने के बाद उनके भी 'सहअस्तित्व' को स्वीकार करना होगा। इसलिए तमाम नफा के तर्कों के बाद अखिलेश खेमा शिवपाल की वापसी में 'नुकसान' ही देख रहा है। दूसरी ओर शिवपाल खेमा भी वापसी की कवायद को केवल अफवाह बता रहा है। उसका कहना है कि हम आगे की चुनावी तैयारियों की रणनीति बना रहे हैं। सम्मानजनक वापसी का कोई प्रस्ताव आएगा तब सोचेंगे। 


माया साथ हों या खिलाफ चेहरा अखिलेश ही! 
बीएसपी प्रमुख मायावती ने सपाइयों के 'सुधरने' की शर्त के साथ गठबंधन की राह खुली रखी है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने इसमें संभावना तलाशनी शुरू कर दी है। दूसरी ओर एसपी ने साफ कर दिया है कि कोई साथ हो या खिलाफ 2022 का चेहरा अखिलेश ही रहेंगे। बुधवार को गठबंधन टूटने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अखिलेश ने कहा कि 2022 में समाजवादी सरकार बनाएं हमें उसमें जुटेंगे। गुरुवार को एसपी कार्यालय में युवा कार्यकर्ताओं को अखिलेश ने चुनाव के लिए लगने को कहा। 


एसपी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी का कहना है, 'कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया है कि वे अखिलेश यादव को सन् 2022 में मुख्यमंत्री बनाने के लिए जनता के बीच जाएंगे और सघन अभियान चलाएंगे। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए घर-घर जाएगें।' एसपी की इस साफगोई से साफ है कि गठबंधन अपनी परिणति को प्राप्त कर चुका है। क्योंकि, मायावती के अनुसार अखिलेश उन्हें अपना 'आदर्श' मानते हैं, ऐसे में माया अपने 'अनुयायी' के लिए रास्ता बनाने से रहीं। 

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