नई दिल्ली/माले. नरेंद्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर मालदीव और श्रीलंका जा रहे हैं। शनिवार को मोदी मालदीव की संसद को भी संबोधित करेंगे। ये दूसरी बार है, जब मोदी मालदीव की यात्रा पर जा रहे हैं। इससे पहले मोदी पिछले साल राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में मालदीव गए थे। मोदी सरकार की नेबर फर्स्ट (पड़ोसी पहले) की पॉलिसी रही है। 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी अपने पहले विदेश दौरे पर भूटान गए थे।


एक्सपर्ट व्यू: पाक-चीन को कमजोर करना है तो मालदीव जरूरी
विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह बताते हैं कि मालदीव ऐसा देश है जो भारत के डिफेंस और स्ट्रैटजी के लिए जरूरी है। दक्षिण एशिया में भारत के लिए सबसे ज्यादा भरोसेमंद मालदीव ही है। भारत मालदीव के साथ हिंद महासागर में नई रणनीति तैयार करना चाहता है। अगर भारत को मजबूत होना है तो मालदीव का साथ जरूरी है। अगर चीन वहां मजबूत होता है तो भारत कमजोर होगा, लेकिन भारत वहां मजबूत होता है तो इससे चीन और पाकिस्तान, दोनों कमजोर होंगे।


चीन का आर्थिक असर कम करने की कोशिश
रहीस सिंह बताते हैं कि दक्षिण एशिया के देशों को चीन आर्थिक मदद के नाम पर कर्ज में डुबा रहा है। पाकिस्तान और मालदीव भी इससे प्रभावित हैं। चीन का वन बेल्ट-वन रोड प्रोजेक्ट मालदीव के मारू और श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह से गुजरेगा। इसके जरिए चीन भारत को घेरने की तैयारी कर रहा है। इसलिए भारत को मालदीव की जरूरत है। अगर भारत आर्थिक मदद देता है तो मालदीव हमारे साथ आएगा, जिससे हमें ही फायदा होगा।


पाक-चीन-मालदीव का त्रिकोण बना, इसे तोड़ना भारत के लिए जरूरी
सुरक्षा के नजरिए से मालदीव भारत के लिए कितना जरूरी है? इस बारे में रहीस सिंह बताते हैं कि फरवरी 2018 में जब तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने आपातकाल लगा दिया था तो भारत मालदीव की मदद के लिए आगे आया था। भारत ने मालदीव को सैन्य मदद देने की बात भी कही थी, लेकिन मालदीव ने यह कहकर इनकार कर दिया था कि पाकिस्तान उसका सहयोग कर रहा है। मालदीव-चीन और पाकिस्तान का एक त्रिकोण बन रहा था, जो भारत के लिए खतरनाक है। अगर भारत इस त्रिकोण को तोड़ने में कामयाब होता है तो हमारे लिए अच्छा होगा। मोदी मालदीव की यात्रा पर जा रहे हैं तो वहां के लोगों में और सरकार में भरोसा पैदा होगा कि भारत हमारे साथ है। इससे भारत को निवेश करने और वहां अपना बाजार बनाने में भी मदद मिलेगी।


मालदीव से भारत के रिश्ते बिगड़ गए थे
मालदीव और भारत के रिश्ते पिछले साल बिगड़ने शुरू हो गए थे, जब मालदीव में आपातकाल लगा था। भारत इस आपातकाल के विरोध में था, लेकिन अब्दुल्ला यामीन का झुकाव चीन की तरफ था। तब चीन ने भारत के लिए कहा था कि किसी भी देश को दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। जून 2018 में मालदीव की प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव के सांसद अहमद निदान जब भारत आए तो उन्हें चेन्नई एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया और पूछताछ के बाद कथित तौर पर वापस भेज दिया गया।


सोलिह के सत्ता में आने के बाद रिश्ते सुधरे
इससे पहले मालदीव ने भारत की तरफ से उपहार स्वरूप मिले दो नेवी हेलिकॉप्टर वापस ले जाने के लिए भी कह दिया था। ऐसा भी माना जाने लगा था कि सार्क देशों में पाकिस्तान के बाद मालदीव ही है, जिससे भारत के रिश्ते सबसे ज्यादा खराब हुए हैं। हालांकि, नवंबर 2018 में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के सत्ता में आने के बाद दोनों देश के बीच रिश्ते फिर सुधरने लगे। उनका झुकाव भारत की तरफ माना जाता है। उनके राष्ट्रपति बनने पर सबसे पहले मोदी ने ही बधाई दी थी।

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