बताया जा रहा है कि लू से मरने वाले ज्यादातर लोगों में 60 साल से अधिक उम्र के लोग हैं। लू से इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौतों पर राज्य सरकार हरकत में आ गई है। बिहार सरकार ने सभी प्रभावित जिलों में मरीजों के लिए अतिरिक्त डॉक्टरों की तैनाती की है। इसके अलावा गांवों और शहरों में पीने का पानी पहुंचाने के लिए अतिरिक्त टैंकर लगाए गए हैं। इस बीच लू प्रभावित इलाकों में अगर डॉक्टर आज हड़ताल पर रहते हैं तो मरीजों की मुश्किल और बढ़ सकती है। हालांकि डॉक्टरों ने अभी आश्वासन दिया है कि वे मरीजों का इलाज करेंगे।
मौत की वजह ब्रेन में ग्लूकोज की कमी
डॉक्टरों के मुताबिक लू पीड़ितों को पहले बेचैनी हो रही है और उसके बाद वे बेहोश हो जा रहे हैं। फिर आधे से दो घंटे के बीच उनकी मौत हो जा रही है। बताया जा रहा है कि मौत की वजह ब्रेन में ग्लूकोज की कमी है। डॉक्टरों ने खूब पानी की सलाह मरीजों को दी है। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि सभी मृतकों के परिजनों को अनुग्रह अनुदान राशि मुहैया कराए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक औरंगाबाद में रविवार को अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से करीब 7 डिग्री सेल्सियस अधिक था। यहां पर सोमवार को भी गर्मी से निजात मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।
राजधानी पटना में पटना में शनिवार को अधिकतम तापमान 45.8 डिग्री सेल्सियस रहा जो 2009 के बाद के पिछले 10 वर्षों के रेकॉर्ड को पार कर गया है। पटना शहर में शनिवार को न्यूनतम तापमान 31.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 4.2 डिग्री अधिक था। भीषण गर्मी को देखते हुए पटना में 19 जून तक के लिए सभी स्कूलों को बंद दिया गया है।
मॉनसून के 22-23 जून तक आने की उम्मीद
मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि लगातार दो दिनों तक अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किए जाने पर हीट वेव घोषित किया जाता है। बिहार के अन्य जिलों गया, भागलपुर और पूर्णिया में शनिवार को अधिकतम तापमान क्रमश: 45.2 डिग्री सेल्सियस, 41.5 डिग्री सेल्सियस और 35.9 डिग्री सेल्सियस रहा था। मौसम विभाग के अनुसार बिहार में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के 22-23 जून तक आने की उम्मीद है।