नयी दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को देश और विदेश में आतंकी मामलों की जांच में नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को और मजबूत बनाने के लिए 2 कानूनों को संशोधित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून में संशोधन को मंजूरी दी है, जिससे आतंकवाद से जुड़े लोगों को आतंकी घोषित किया जा सकेगा। वहीं एनआईए कानून में संशोधन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है, ताकि एजेंसी को और सशक्त बनाया जा सके। इस संसोधन के बाद एजेंसी भारत के बाहर भी भारतीय नागरिकों या उनके हितों को नुकसान पहुंचने की स्थिति में मामला दर्ज कर जांच कर सकती है।

 राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) विधेयक आने के बाद उन मामलों का दायरा बढ़ जाएगा, जिनकी एजेंसी जांच कर सकती है। एनआईए ऐक्ट में कई नए अपराधों को भी जोड़ा जा रहा है। इनमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 एफ के तहत दर्ज किए जाने वाले साइबर टेररेजम के साथ-साथ धारा 370 और 371 के तहत आने वाले मानव तस्करी से संबंधित आईपीसी अपराध भी शामिल हैं, जिनमें अक्सर अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय लिंक होते हैं। एनआईए कानून और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून को संशोधित करने के लिए अगले कुछ दिनों में संसद में अलग-अलग विधेयक लाए जाएंगे।

एनआईए (संशोधन) विधेयक के मसौदे के अनुसार, एजेंसी को किसी राज्य में सर्च के लिए शीर्ष पुलिस अधिकारी की इजाजत लेने जरूरत नहीं होगी। हालांकि एनआईए को अभी भी जांच से पहले किसी से इजाजत लेनी नहीं होती है, जबतक कानूनव्यवस्था की स्थिति खराब होने की आशंका न हो। वहीं गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून में प्रस्तावित संशोधन से सरकार आतंकवाद से जुड़े लोगों (लश्कर-ए-तैयबा सरगना हाफिज सईद और जैश-ए-मुहम्मद सरगना मसूद अजहर) को आतंकी घोषित कर पाएगी। अभी केवल संगठनों को ‘आतंकी संगठन’ घोषित किया जा सकता था। 

NIA ऐक्ट में प्रस्तावित बदलावUAPA में प्रस्तावित बदलाव
ड्राफ्ट NIA (अमेंडमेंट) बिल से एजेंसी की ताकत बढ़ेगी और वह बिना डीजीपी की सहमति के भी राज्य में सर्च कर सकेगी।UAPA में प्रस्तावित बदलाव से सरकार आतंकियों को प्रतिबंधित सूची में डाल सकेगी।
अभी भी NIA के लिए डीजीपी की सहमति अनिवार्य नहीं है, लेकिन वह सर्च से पहले उन्हें जानकारी देती है, खासकर उस स्थिति में जहां लॉ ऐंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ने की आशंका हो।लश्कर सरगना हाफिज सईद, जैश सरगना मसूद अजहर जैसे आतंकियों को 'इंडिविजुअल टेररिस्ट' घोषित किया जा सकेगा। अभी सिर्फ संगठन को ही 'आतंकी संगठन' घोषित किया जा सकता है।
अगर भारतीय नागरिकों या हितों को नुकसान पहुंचता है तो NIA के पास विदेशी जमीन पर भी आतंकी हमले की जांच का अधिकार होगा।किसी शख्स को 'आतंकी' घोषित करने के बाद उस पर ट्रैवल बैन लग जाएगा, फंड तक उसकी पहुंच सीमित हो जाएगी।
साइबर टेररेजम, मानव तस्करी को भी NIA ऐक्ट के दायरे में लाया जा रहा है।UAPA के तहत किसी आतंकी को प्रतिबंधित सूची में डालने से भारत जब अन्य देशों से भी उन्हें इसी तर्ज पर आतंकी घोषित करने का अनुरोध करेगा तो उसका पक्ष मजबूत रहेगा।
एक और प्रस्तावित संशोधन एनआईए कोर्ट के एक जज को उनके नाम के बजाए उनके पद से नामित किए जाने की सुविधा देता है। किसी व्यक्ति को ‘आतंकवादियों की लिस्ट’ में शामिल करने उसपर ट्रैवल बैन लगाने में मदद मिलती है और ऐसे लोगों की फंड और बाकी सुविधाओं तक पहुंच सीमित हो जाती है। फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के मानकों के अनुसार सदस्य राष्ट्रों के कानून, संयुक्त राष्ट्र के कानून के अनुरूप होने चाहिए जिनमें व्यक्तियों को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान हो। 




NIA ऐक्ट में प्रस्तावित बदलावUAPA में प्रस्तावित बदलाव
ड्राफ्ट NIA (अमेंडमेंट) बिल से एजेंसी की ताकत बढ़ेगी और वह बिना डीजीपी की सहमति के भी राज्य में सर्च कर सकेगी।UAPA में प्रस्तावित बदलाव से सरकार आतंकियों को प्रतिबंधित सूची में डाल सकेगी।
अभी भी NIA के लिए डीजीपी की सहमति अनिवार्य नहीं है, लेकिन वह सर्च से पहले उन्हें जानकारी देती है, खासकर उस स्थिति में जहां लॉ ऐंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ने की आशंका हो।लश्कर सरगना हाफिज सईद, जैश सरगना मसूद अजहर जैसे आतंकियों को 'इंडिविजुअल टेररिस्ट' घोषित किया जा सकेगा। अभी सिर्फ संगठन को ही 'आतंकी संगठन' घोषित किया जा सकता है।
अगर भारतीय नागरिकों या हितों को नुकसान पहुंचता है तो NIA के पास विदेशी जमीन पर भी आतंकी हमले की जांच का अधिकार होगा।किसी शख्स को 'आतंकी' घोषित करने के बाद उस पर ट्रैवल बैन लग जाएगा, फंड तक उसकी पहुंच सीमित हो जाएगी।
साइबर टेररेजम, मानव तस्करी को भी NIA ऐक्ट के दायरे में लाया जा रहा है।UAPA के तहत किसी आतंकी को प्रतिबंधित सूची में डालने से भारत जब अन्य देशों से भी उन्हें इसी तर्ज पर आतंकी घोषित करने का अनुरोध करेगा तो उसका पक्ष मजबूत रहेगा।

एक और प्रस्तावित संशोधन एनआईए कोर्ट के एक जज को उनके नाम के बजाए उनके पद से नामित किए जाने की सुविधा देता है। किसी व्यक्ति को ‘आतंकवादियों की लिस्ट’ में शामिल करने उसपर ट्रैवल बैन लगाने में मदद मिलती है और ऐसे लोगों की फंड और बाकी सुविधाओं तक पहुंच सीमित हो जाती है। फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के मानकों के अनुसार सदस्य राष्ट्रों के कानून, संयुक्त राष्ट्र के कानून के अनुरूप होने चाहिए जिनमें व्यक्तियों को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान हो। 
NIA ऐक्ट में प्रस्तावित बदलावUAPA में प्रस्तावित बदलाव
ड्राफ्ट NIA (अमेंडमेंट) बिल से एजेंसी की ताकत बढ़ेगी और वह बिना डीजीपी की सहमति के भी राज्य में सर्च कर सकेगी।UAPA में प्रस्तावित बदलाव से सरकार आतंकियों को प्रतिबंधित सूची में डाल सकेगी।
अभी भी NIA के लिए डीजीपी की सहमति अनिवार्य नहीं है, लेकिन वह सर्च से पहले उन्हें जानकारी देती है, खासकर उस स्थिति में जहां लॉ ऐंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ने की आशंका हो।लश्कर सरगना हाफिज सईद, जैश सरगना मसूद अजहर जैसे आतंकियों को 'इंडिविजुअल टेररिस्ट' घोषित किया जा सकेगा। अभी सिर्फ संगठन को ही 'आतंकी संगठन' घोषित किया जा सकता है।
अगर भारतीय नागरिकों या हितों को नुकसान पहुंचता है तो NIA के पास विदेशी जमीन पर भी आतंकी हमले की जांच का अधिकार होगा।किसी शख्स को 'आतंकी' घोषित करने के बाद उस पर ट्रैवल बैन लग जाएगा, फंड तक उसकी पहुंच सीमित हो जाएगी।
साइबर टेररेजम, मानव तस्करी को भी NIA ऐक्ट के दायरे में लाया जा रहा है।UAPA के तहत किसी आतंकी को प्रतिबंधित सूची में डालने से भारत जब अन्य देशों से भी उन्हें इसी तर्ज पर आतंकी घोषित करने का अनुरोध करेगा तो उसका पक्ष मजबूत रहेगा।

एक और प्रस्तावित संशोधन एनआईए कोर्ट के एक जज को उनके नाम के बजाए उनके पद से नामित किए जाने की सुविधा देता है। किसी व्यक्ति को ‘आतंकवादियों की लिस्ट’ में शामिल करने उसपर ट्रैवल बैन लगाने में मदद मिलती है और ऐसे लोगों की फंड और बाकी सुविधाओं तक पहुंच सीमित हो जाती है। फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के मानकों के अनुसार सदस्य राष्ट्रों के कानून, संयुक्त राष्ट्र के कानून के अनुरूप होने चाहिए जिनमें व्यक्तियों को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान हो। 
NIA ऐक्ट में प्रस्तावित बदलावUAPA में प्रस्तावित बदलाव
ड्राफ्ट NIA (अमेंडमेंट) बिल से एजेंसी की ताकत बढ़ेगी और वह बिना डीजीपी की सहमति के भी राज्य में सर्च कर सकेगी।UAPA में प्रस्तावित बदलाव से सरकार आतंकियों को प्रतिबंधित सूची में डाल सकेगी।
अभी भी NIA के लिए डीजीपी की सहमति अनिवार्य नहीं है, लेकिन वह सर्च से पहले उन्हें जानकारी देती है, खासकर उस स्थिति में जहां लॉ ऐंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ने की आशंका हो।लश्कर सरगना हाफिज सईद, जैश सरगना मसूद अजहर जैसे आतंकियों को 'इंडिविजुअल टेररिस्ट' घोषित किया जा सकेगा। अभी सिर्फ संगठन को ही 'आतंकी संगठन' घोषित किया जा सकता है।
अगर भारतीय नागरिकों या हितों को नुकसान पहुंचता है तो NIA के पास विदेशी जमीन पर भी आतंकी हमले की जांच का अधिकार होगा।किसी शख्स को 'आतंकी' घोषित करने के बाद उस पर ट्रैवल बैन लग जाएगा, फंड तक उसकी पहुंच सीमित हो जाएगी।
साइबर टेररेजम, मानव तस्करी को भी NIA ऐक्ट के दायरे में लाया जा रहा है।UAPA के तहत किसी आतंकी को प्रतिबंधित सूची में डालने से भारत जब अन्य देशों से भी उन्हें इसी तर्ज पर आतंकी घोषित करने का अनुरोध करेगा तो उसका पक्ष मजबूत रहेगा।

एक और प्रस्तावित संशोधन एनआईए कोर्ट के एक जज को उनके नाम के बजाए उनके पद से नामित किए जाने की सुविधा देता है। किसी व्यक्ति को ‘आतंकवादियों की लिस्ट’ में शामिल करने उसपर ट्रैवल बैन लगाने में मदद मिलती है और ऐसे लोगों की फंड और बाकी सुविधाओं तक पहुंच सीमित हो जाती है। फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के मानकों के अनुसार सदस्य राष्ट्रों के कानून, संयुक्त राष्ट्र के कानून के अनुरूप होने चाहिए जिनमें व्यक्तियों को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान हो। 
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ड्राफ्ट NIA (अमेंडमेंट) बिल से एजेंसी की ताकत बढ़ेगी और वह बिना डीजीपी की सहमति के भी राज्य में सर्च कर सकेगी।UAPA में प्रस्तावित बदलाव से सरकार आतंकियों को प्रतिबंधित सूची में डाल सकेगी।
अभी भी NIA के लिए डीजीपी की सहमति अनिवार्य नहीं है, लेकिन वह सर्च से पहले उन्हें जानकारी देती है, खासकर उस स्थिति में जहां लॉ ऐंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ने की आशंका हो।लश्कर सरगना हाफिज सईद, जैश सरगना मसूद अजहर जैसे आतंकियों को 'इंडिविजुअल टेररिस्ट' घोषित किया जा सकेगा। अभी सिर्फ संगठन को ही 'आतंकी संगठन' घोषित किया जा सकता है।
अगर भारतीय नागरिकों या हितों को नुकसान पहुंचता है तो NIA के पास विदेशी जमीन पर भी आतंकी हमले की जांच का अधिकार होगा।किसी शख्स को 'आतंकी' घोषित करने के बाद उस पर ट्रैवल बैन लग जाएगा, फंड तक उसकी पहुंच सीमित हो जाएगी।
साइबर टेररेजम, मानव तस्करी को भी NIA ऐक्ट के दायरे में लाया जा रहा है।UAPA के तहत किसी आतंकी को प्रतिबंधित सूची में डालने से भारत जब अन्य देशों से भी उन्हें इसी तर्ज पर आतंकी घोषित करने का अनुरोध करेगा तो उसका पक्ष मजबूत रहेगा।

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NIA ऐक्ट में प्रस्तावित बदलावUAPA में प्रस्तावित बदलाव
ड्राफ्ट NIA (अमेंडमेंट) बिल से एजेंसी की ताकत बढ़ेगी और वह बिना डीजीपी की सहमति के भी राज्य में सर्च कर सकेगी।UAPA में प्रस्तावित बदलाव से सरकार आतंकियों को प्रतिबंधित सूची में डाल सकेगी।
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अगर भारतीय नागरिकों या हितों को नुकसान पहुंचता है तो NIA के पास विदेशी जमीन पर भी आतंकी हमले की जांच का अधिकार होगा।किसी शख्स को 'आतंकी' घोषित करने के बाद उस पर ट्रैवल बैन लग जाएगा, फंड तक उसकी पहुंच सीमित हो जाएगी।
साइबर टेररेजम, मानव तस्करी को भी NIA ऐक्ट के दायरे में लाया जा रहा है।UAPA के तहत किसी आतंकी को प्रतिबंधित सूची में डालने से भारत जब अन्य देशों से भी उन्हें इसी तर्ज पर आतंकी घोषित करने का अनुरोध करेगा तो उसका पक्ष मजबूत रहेगा।

एक और प्रस्तावित संशोधन एनआईए कोर्ट के एक जज को उनके नाम के बजाए उनके पद से नामित किए जाने की सुविधा देता है। किसी व्यक्ति को ‘आतंकवादियों की लिस्ट’ में शामिल करने उसपर ट्रैवल बैन लगाने में मदद मिलती है और ऐसे लोगों की फंड और बाकी सुविधाओं तक पहुंच सीमित हो जाती है। फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के मानकों के अनुसार सदस्य राष्ट्रों के कानून, संयुक्त राष्ट्र के कानून के अनुरूप होने चाहिए जिनमें व्यक्तियों को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान हो। 

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