अमरावती। आंध्र प्रदेश में हाल ही में संपन्न लोकसभा और विधानसभा चुनावों में चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी को सफलता नहीं मिली और जगन मोहन रेड्डी की वाईआरसीपी को बड़ी सफलता हाथ लग गई। सरकार बनने के बाद जगन मोहन रेड्डी ऐक्शन में आ गए हैं और चंद्रबाबू नायडू उनके मुख्य निशाने पर हैं। आंध्र प्रदेश की राजनीति तमिलनाडु की राजनीति की राह पर जाती दिख रही है। तमिलनाडु में इसी तरह की बदले की राजनीति जयललिता और करुणानिधि में देखी जाती थी। एक के हाथ से सत्ता जाने और दूसरे के हाथ में सत्ता आने पर बदले की भावना से कार्रवाई की जाती थी। 

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जगन की पार्टी को मिली ऐतिहासिक जीत

आंध्र प्रदेश की कुल 175 विधानसभा सीटों में जगन मोहन की वाईआरसीपी को 151 सीटें मिलीं, जबकि चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी को महज 23 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। एक सीट जनसेना को मिली। मुख्यमंत्री बनने के बाद जगन मोहन से सबसे पहले चंद्रबाबू नायडू से अपना हिसाब-किताब बराबर करने में जुट गए हैं। 

हवाई अड्डे पर वीवीआईपी सुविधा से वंचित

चुनाव नतीजे पक्ष में नहीं आने पर चंद्रबाबू नायडू परिवार के साथ छुट्टियां मनाने के लिए विदेश जा रहे थे, तो उनके साथ हवाई अड्डे पर चेकिंग की गई और उन्हें आम यात्रियों के साथ बस में सवार होकर जाना पड़ा। उसी समय यह तय हो गया था कि यह सब आंध्र प्रदेश सरकार के इशारे पर किया जा रहा है। उसके बाद उनके विदेश यात्रा से वापस आते ही चंद्रबाबू नायडू द्वारा बनवाये गए बंगले प्रजा वेदिका को ध्वस्त करने का आदेश जारी कर दिया गया। जिसके लिए इस बात का हवाला दिया गया कि ग्रीन नियमों का उल्लंघन करके इसका निर्माण करवाया गया था। उस बंगले को बनवाने में कुल आठ करोड़ रुपये की लागत आई थी।

टीडीपी का तर्क, जगन के पिता से लिया था परमिशन

प्रजा वेदिका चंद्रबाबू नायडू ने मुख्यमंत्री रहते हुए बनवाया था, जिसमें वो अधिकारियों के साथ बैठके करते थे और फरियादियों के लिए जनता दरबार लगाया करते थे। टीडीपी नेताओं का कहना है कि इसके लिए जगन मोहन के पिता जी से ही आदेश लेकर सभी औपचारिकाताओं को पूरा किया गया था। लेकिन जगन मोहन बदले की भावना से काम कर रहे हैं। 

बिजली खरीद पर बैठाई जांच

बंगले को ढहाने का आदेश देने के बाद ही जगन मोहन ने दूसरा फैसला लिया, जो टीडीपी सरकार के कार्यकाल के दौरान बिजली खरीद से जुड़ा था। जगन ने कहा कि उस समय बिजली की खरीद सभी नियम कानूनों को धता बताते हुए की गई थी और उसमें भ्रष्टाचार किया गया था। जिससे राज्य को मिलने वाले राजस्व का नुकसान हुआ था। उसके लिए जगन ने एक कमेटी बनाकर जांच बैठा दी है। जांच के बाद रिपोर्ट आने पर अगली कार्रवाई की जाएगी। 

चंद्रबाबू नायडू की सुरक्षा की गई कम

चंद्बाबू नायडू की सुरक्षा में लगे सुरक्षा गार्डों को घटाने का आदेश जारी कर दिया गया। उनकी सुरक्षा में 23 सुरक्षा गार्ड लगे थे, जिनकी संख्या घटाकर महज तीन कर दी गई। जिसमें अब केवल एक पुलिस इंस्पेक्टर और दो कान्सटेबल बचे हैं। 

सरकारी आवास खाली करने के लिए नोटिस जारी

इसके साथ चंद्रबाबू नायडू को सरकारी आवास खाली करने के लिए नोटिस जारी कर दी गई। जिसके लिए अमरावती के किसान आगे आए और उनके लिए जमीन देने की बात की। किसानों का कहना था कि राजधानी के निर्माण के लिए जब हम हजारों एकड़ जमीन दे सकते हैं, तो आपको घर बनाने के लिए कुछ एकड़ जमीन नहीं दे सकते हैं क्या?

तमिलनाडु की राह पर आंध्र प्रदेश की राजनीति

आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक ऐसा दौर देखा जा रहा है, जो तमिलनाडु की राजनीति के रास्ते पर जाता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि, सत्ता में रहते हुए चंद्रबाबू नायडू ने जगन के राजनीतिक कैरियर को पूरी तरह से चौपट करवाने की पूरी कोशिश की थी। कांग्रेस के साथ मिलकर चंद्रबाबू नायडू के इशारे पर जगन के खिलाफ सीबीआई और ईडी के छापे डलवाये गए, जिसमें जगन को जेल तक जाना पड़ा।



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