एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री कार्यालय से हटने के लिए मजबूर होने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक में अगली सरकार बनाने को लेकर पशोपेश की स्थिति में है। ऐसे में जब तक आंकड़े स्पष्ट नहीं हो जाते पार्टी कुछ समय के लिए राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहती है।



यही वजह है कि संभावित मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से हरी झंडी नहीं दी जा रही है, जिसके लिए उन्होंने उम्मीद की थी।



विचाधारात्मक तौर पर बीजेपी के मार्गदर्शक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेताओं के साथ बुधवार को बैठक करने गए 76 वर्षीय येदियुरप्पा ने कल कहा था- “मैं दिल्ली के निर्देश का इंतजार कर रहा हूं। मैं किसी भी वक्त पार्टी विधायक दल की बैठक बुलाकर राजभवन जा सकता हूं।”



बीजेपी इस बात को लेकर बेहद सचेत है कि ऐसा न दिखे कि उसमें सत्ता को लेकर तीव्र इच्छा है। वह एक सुरक्षित खेल खेलना चाहती है और ऐसा नहीं चाहती है कि सरकार बनने के बाद आंकड़ों के बदलाव को झेल न सके, जो अगले कुछ दिनों में हो सकता है।



बीजेपी के एक नेता ने बताया कि इस बात के प्रबल संकेत हैं कि पार्टी को सुप्रीम कोर्ट में केस और स्पीकर केआर रमेश के सामने विधायकों के इस्तीफे पर फैसला आने तक इंतजार करना चाहिए।
संभावनाओं में से एक ये हो सकता है कि बीजेपी इस स्थिति को फिलहाल टालना चाहती है क्योंकि कांग्रेस और जेडीएस अपने बागी 15 विधायकों में से कुछ को मनाने में कामयाब हो सकती है।



बीजेपी के एक नेता ने बताया कि रिकॉर्ड के तौर पर कुमारस्वामी और येदियुरप्पा दोनों ने इस बात की घोषणा की है कि वे कभी भी बागी विधायकों को पार्टी में वापस ज्वाइन नहीं करने देंगे। “लेकिन अगर उनका यह रूख बदलता है तो... येदियुरप्पा सरकार एक बार फिर से अल्पमत में आ जाएगी।”

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