जैसा की हम सभी जानते हैं इस समय पितृपक्ष चल रहा हैं और यह 28 सितंबर तक चलने वाला हैं, पितृ हमारे पूर्वज होते हैं जो मृत्यु को प्राप्त कर चुके हैं। ऐसा माना जाता हैं कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज अपने निवास स्थान पर भ्रमण के लिए आते हैं, ऐसे में उन्हें प्रसन्न करने और उनके आत्मशांति के लिए श्राद्ध आदि किए जाते हैं ताकि उन्हें मुक्ति मिल जाये। ऐसा माना जाता हैं कि पितृ की पूजा करने से देवता भी प्रसन्न होते हैं लेकिन यदि आप अपने घर के किसी भी बुजुर्ग व्यक्ति को कष्ट पहुंचाते हैं तो पितृ नाराज हो जाते हैं और वह आपको प्रसन्न रहने का वरदान नहीं देते हैं, जिससे आप अपने जीवन में कई समस्याओं को झेलते हैं। ऐसे में आज हम आपको एक उपाय बताने जा रहे हैं, जिसे अमावस्या की रात करे, इस उपाय को करने से आपके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।



यदि आपने पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं किया हैं तो अमावस्या के दिन यह उपाय जरूर करे, इसके लिए आप अमावस्या के दिन जल्दी उठे, स्नान करने के बाद हल्के रंग के वस्त्र धारण करे, नीले या काले रंग के वस्त्र ना पहने, अब एक लोटे में जल भर ले और सूर्यदेव को जल देते समय ‘ॐ सूर्या: नमः’ ॐ आदित्या नमः’ मंत्र का जाप करे। अब उसी लोटे में दोबारा जल भर ले और दक्षिण की ओर मुख करके ‘ॐ सर्वेभ्यो, ॐ पितृभ्यो नमः मंत्र का जाप करते हुये अपने पितरों को जल दे, लोटे में आप थोड़ा सा सफ़ेद चन्दन तिल आदि भी डाल दे। जल देने के बाद अपने घर में सात्विक भोजन बनाए और दक्षिण मुखी होकर ब्राह्मण को भोजन कराये, सात्विक पंडित को ही अपने घर पर बुलाकर भोजन कराये। इसके बाद अपने मुताबिक दान करे, किसी गरीब को खाना खिलाएँ। इतना ही नहीं जरूरतमंद लोगों को कपड़े आदि का भी दान करना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता हैं कि दान करना सबसे पुण्य का काम होता हैं, दान करने से देवता भी प्रसन्न होते हैं|
अमावस्या की रात इस कोने में एक दिया अवश्य जलाएं।



दान-पुण्य करने के बाद आप पितृ पक्ष की अमावस्या की रात दक्षिण दिशा की ओर एक दिया जरूर जलाए, ये दिया आपके जीवन का और आपके आने वाले वंश के लिए बहुत ही लाभदायक होगा, यह आपके जीवन में एक नयी रोशनी लेकर आयेगा| इसके अलावा यह आपके आने वाले वंश के लिए भी लाभकारी साबित होगा। दक्षिण कोण में दिया जलाने से ना सिर्फ आपके पितृ प्रसन्न होते हैं बल्कि यह आपके सभी दुखो को दूर करते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता हैं की मृत्यु के बाद पितृ भी देवतातुल्य हो जाते हैं और उनको प्रसन्न करना मतलब देवता को प्रसन्न करने के समान होता हैं, इसलिए सिर्फ इस साल ही नहीं बल्कि हर साल पितृ पक्ष की अमावस्या की रात दक्षिण कोण में दिया अवश्य जलाए।

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