आपको बता दें की आज यानी की 25 सितंबर 2019, बुधवार यानि आज इंदिरा एकादशी का पर्व हैं और यह पितृ मोक्ष में आती हैं, जिससे इसका महत्व बढ़ जाता हैं। इस दिन लोग व्रत रखते हैं, जिससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं और व्रत रखने वाले व्रती के जीवन में खुशियों का वास होता हैं। ऐसी मान्यता हैं कि यदि आपके पूर्वज जाने-अनजाने किसी पाप के कारण यमदेव के पास दंड भुगत रहे हैं तो इस दिन यदि विधि-विधान से पूजा-अर्चना किया जाये तो उन्हें मुक्ति मिलती हैं। इतना ही यह भी कहा जाता हैं कि इंदिरा एकदशी की कथा सुनने में मात्र से आपके पितरों को बैकुंठ का वास मिलता हैं।


तिथि और शुभ मुहूर्त
इंदिरा एकादशी की तिथि का आरंभ 24 सितंबर 2019, मंगलवार यानि कल शाम 4 बजकर 52 मिनट से ही शुरू हो चुका हैं और इसकी समाप्ती 25 सितंबर 2019, बुधवार यानि आज दोपहर 2 बजकर 9 मिनट पर होगा। वहीं द्वादशी को पारण 26 सितंबर 2019, गुरुवार सुबह 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 8 बजकर 38 मिनट तक होगा। आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रिया कर स्नान कर ले, स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करे। सुबह स्नान करने के पश्चात दोपहर में किसी पवित्र नदी में स्नान करे और फिर श्रद्धापूर्वक अपने पूर्वज का श्राद्ध करे, भोजन एक बार ही करे। एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करे, स्नान के बाद व्रत करने की प्रतिज्ञा करे। अब नियम पूर्वक शालिग्राम की मूर्ति की पूजा करे और फिर ब्राह्मणो को भोजन कराये। रात में जागरण करे, जागरण करने के बाद सुबह जल्दी उठकर भगवान की पूजा करे, पूजन के बाद ब्राह्मणो को भोजन कराये, स्वयं मौन होकर भोजन करे।



कथा
एक बार युधिष्ठिर भगवान से पुछने लगे कि आश्विन कृष्ण एकादशी का क्या नाम हैं, इसकी विधि और फल क्या हैं, युधिष्ठिर के इस बात का जवाब देते हुये भगवान कृष्ण ने कहा कि इस एकादशी का नाम इंदिरा एकादशी हैं और यह एकादशी पापों को नष्ट करने वाला और पितरों को मुक्ति देने वाला हैं। प्राचीन समय में महिष्मती नाम की नगरी में इंद्रसेन नाम एक शक्तिशाली राजा था, वह विष्णु भक्त था, वह अपने धर्म का पालन करते हुये अपनी प्रजा की सेवा करता था। राजा धन-धान्य, पुत्र और पौत्र से सम्पन्न था, ऐसे में एक दिन वह अपने सभा में बता था तभी उसकी सभा में महर्षि नारद आए। राजा ने जैसे ही नारद जी को देखा वह खड़ा होकर उनका सम्मान किया और स्थान ग्रहण करने को कहा। महर्षि नारद ने स्थान ग्रहण करने के बाद राजा से पूछा कि हे राजन तुम्हारे सभी अंग कुशलपूर्वक हैं और तुम्हारी बुद्धि धर्म में और तुम्हारा मन विष्णु भक्ति में लगता तो हैं ना, इस बात का जवाब देते हुये राजा ने कहा कि आपकी कृपा से मेरे राज्य में सब कुशलमंगल है।


महर्षि नारद ने कहा कि एक बार मैं यमलोक गया था और वहाँ पर तुम्हारे पिता को देखा और उन्होने मुझसे कहा कि किसी पूर्व जन्म के कारण वो यमलोक में रह रहा हूँ। उन्होने कहा कि यदि तुम अपने पिता के लिए आश्विन माह के इंदिरा एकादशी के दिन का व्रत करते हो तो उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हो जाएगी। इस बात पर राजा ने महर्षि नारद से व्रत और पूजा की विधि बताने के लिए कहा, इसके बाद राजा ने पूजा और व्रत कर अपने पिता को मुक्ति दिलाई।



 
पितृ मोक्ष एकादशी के दिन करे 1 सिक्के का उपाय
यदि आप कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं तो पितृ मोक्ष एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर ले, स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारणा करे। अब अपने आस-पास किसी पीपल के पेड़ के नीचे जाए और वहाँ जल चढ़ाएँ, जल चढ़ाने के पश्चात पीपल के पेड़ को प्रणाम करे। जब आप पीपल के पेड़ को जल देने जा रहे हो तो उस समय अपने साथ एक सिक्का लेकर जाए और फिर उसे उस पीपल के पेड़ के पास मिट्टी खोदकर दबा दे और फिर वापस चले आए, आते समय आप पीछे मुड़कर ना देखे। ऐसा करने से आपके ऊपर जीतने कर्ज रहेंगे वो सभी बहुत जल्दी उतर जाएंगे और आपके पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।

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