ग्रह कभी-कभी हमारा साथ नहीं देते। जो फल हम ईश्वर से चाह रहे होते हैं वो हमें नहीं मिलते। लोग बहुत मेहनत करते हैं फिर भी उनको सफलता नहीं मिलती। अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उस व्यक्ति का जन्म अशुभ योग में हुआ है। चाहे वो गंडमूल हो या गण्डान्त।सवाल ये है कि आखिर इसे दूर कैसे किया जाए ? कैसे अपने ग्रहों को शांत किया जाय ? सफलता की प्राप्ति का माध्यम क्या है ? तो इसका जवाब हम आपको बताते हैं। दरअसल आपकी तरक्की के पीछे मंगल का बहुत हाथ होता है। मंगल आपके मन मुताबिक आपको सफलता दिलाता है। ऐसे में हमें मंगल ग्रह के उपाय करने चाहिए।

 

आखिर कैसे हुई मंगल ग्रह की उत्पत्ति ?

अगर पौराणिक कथाओं के संदर्भ में देखा जाए तो उनमें यही लिखा है कि शंकर जी के पसीने से मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई। स्कन्दपुराण के अवंतिकाखंड में इसका बेहतर वर्णन किया गया है। एक समय था जब उज्जैनीपुरी में अंधक नाम से प्रशिद्ध दैत्य राजा राज करते थे। तब उनके महापराक्रमी पुत्र का नाम कनक दानव था।इसके बाद कनक दानव ने युद्ध के लिए इंद्र देवता को ललकारा। दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में इंद्र ने क्रोधपूर्वक उसे मार गिराया। बेटे की मौत के बाद अन्धकाशूर पागल हो गया।

 

इसके बाद इंद्र देव अन्धकाशूर से अभय के लिए भगवान शंकर को ढूंढते हुए कैलाश पर्वत पर पहुंचे। और इंद्रा ने भगवान चंद्रशेखर के दर्शन कर उन्हें अपनी अवस्था बताई तो शरणागत वत्सल भगवान शिव ने उन्हें अभय प्रदान किया। और फिर भगवान शिव और अन्धकाशूर के बीच अत्यंत भीषण युद्ध हुआ। इसी लड़ाई के बीच पसीने की एक बूंद शिव जी की पृथ्वी पर गिरी और उसी से जन्म हुआ लाल रंग वाले अंगार रुप भूमि पुत्र मंगल का। अगर मंगल की बात की जाए तो मंगल किसी भी व्यक्ति में वीरता और साहस लाता है।

 

मंगल ग्रह से सुखी इंसान पराक्रमी होता है। उसे किसी का भय नहीं होता। वहीं जब आपका मंगल कमजोर होगा तो आपको पेट के विकार होंगे। आपके पाचन के विकार होंगे।आपको आग से भी डर लगेगा। आपको रक्त विकार होगा त्वचा पर चकते होंगे। अब सवाल ये है कि हम अपना मंगल दोष दूर कैसे करें। मंगल दोष को दूर करने के उपाय क्या हैं।

 

कैसे दूर हो मंगल दोष ?

कहा जाता है कि मंगल से संबंधित स्नान अगर आप करते हैं तो आपका मंगल दोष दूर हो जाएगा। मंगल को खुश करने के लिए आपका भगवान शिव से जुड़ी चीजों को प्रिय बनाना होगा। आपको मंगल स्नान करने के लिए अपने पानी के साथ बेलीगिरी उबला हुआ पानी मिलाना होगा। सामान्य पानी में नमक या हल्दी मिलाकर साथ ही बेलीगिरी वाला पानी मिलाकर इससे स्नान करें। वहीं स्नान करते वक्त आपको एक बात का ध्यान रखना होगा। आप जब स्नान कर रहे हों उस वक्त आपको मंगल के मंत्र ओम भौमाय नमः का जप करना होगा। जप के वक्त मन शांत होना जरूरी है।

 

वहीं जो स्नान नहीं कर पाएं वो मंगल की चीजों का दान करें। लाल रंग की चीजें दान करें। लाल फूल, गुड़ इत्यादि। बड़ों का आशीर्वाद लेकर ही खुद अपने हाथ से दान करें। वहीं हनुमान चालीसा का पाठ करते रहें। इससे मंगल शांत रहता है। आपको मंगल का जाप हर मंगलवार को करना होगा वो भी 108 बार। मंगल और शुक्र जब साथ आ जाए तो आपको कष्ट होता है इससे बचने के लिए आप मंगलवार को मांस बिलकुल ना खाएं। ऐसा करके आप मंगल दोष से बच सकते हैं।

 

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