हिन्दू धर्म में हर महीना महत्वपूर्ण होता है। महीने में कई दिनों पर विशेष त्योहार होते हैं। त्योहारों का व्यक्ति के जीवन पर भी असर पड़ता है। वैसे तो देवताओं को प्रसन्न करने के लिए हर महीना खास होता है लेकिन उन सबमें मार्गशीष मास का बहुत अधिक महत्व है। मार्गशीष महीने में आप विष्णु भगवान को उत्पन्ना एकादशी के दिन प्रसन्न कर सकते हैं और आपकी जानकरी के लिए बता दें कि यह तिथि इस महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ रही है। अगर तारीख के हिसाब से देखा जाए तो यह 22 नवंबर को है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा करना विदित है। कहा जाता है कि जो इस दिन व्रत रखेगा उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।

वहीं इस तिथि का नाम उत्पन्ना एकादशी इसलिए पड़ा क्योंकि इसी दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था, आइए अब आपको पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इस दिन का महत्व बताते हैं।

 

 

उत्पन्ना एकादशी : पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
अगर उत्पन्ना एकादशी के शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो इसकी शुरुवात 22 नवंबर सुबह 9 बजकर 1 मिनट से हो रही हैं। वहीं एकादशी तिथि समाप्त हो रही है शाम 6 बजकर 24 मिनट पर। अब सवाल उठता है कि आखिर इस दिन हमें क्या करना चाहिए। इस दिन हमें मंदिर जाकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। वहीं उन्हें फूलों की माला भी अर्पित करनी चाहिए। अगर संभव हो सके तो इस दिन विवाहित स्त्रियों को घर पर बुलाकर उन्हें खाना खिलाना चाहिए। साथ ही उन्हें सुहाग सामग्री भी देनी चाहिए। यहीं नहीं बल्कि आप एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा भी जरूर करें।

उसकी जड़ में कच्चा दूध चढ़ाकर घी का दीपक भी जलाएं। भगवान विष्णु को तुलसी का पेड़ बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन तुलसी के पेड़ की पूजा भी जरूर करें। अगर आप घर में खीर बना रहे हैं तो उसमें तुलसी के पत्ते डालकर पहले भगवान विष्णु को भोग लगाएं।

 

 

जब आप पूजा कर रहे हों तो आप ओम नमोह भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप भी करें। कहा जाता है कि इस व्रत के एक दिन बाद भी ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। वहीं अगर आपसे व्रत के दौरान या अपने जीवन में कोई गलती हुई है तो उस गलती की माफी आप भगवान विष्णु से मांगे। उत्पन्ना एकादशी के दिन घर में दीप जरूर जलाएं। वहीं अगर संभव हो सके तो पीले कपड़े पहनकर ही पूजा करें और पीले कपड़े ही दान भी करें। इस दिन इन नियमों का पालन करना आप बिलकुल भी ना भूले।

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