नयी दिल्ली। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे 23 मई को आ चुके हैं। जिसके बाद देश में एक बार फिर बीजेपी ने केंद्र में वापसी करते हुए पिछली बार से ज्यादा सीटों के साथ सरकार बनाई। जहां एक तरफ इस चुनाव में बीजेपी को बॉलीवुड की तरफ से जबर्दस्त साथ मिला वहीं यहां कुछ ऐसे लोग भी रहे जिन्होंने पीएम मोदी के प्रति नापसंदगी जाहिर करते हुए विपक्ष को चुना।

जिसमें जावेद अख्तर और स्वरा भास्कर जैसे नाम शामिल हैं।जावेद अख्तर की बात करें तो हाल ही में उन्होंने पीएम मोदी पर ट्वीट किया, लेकिन ये ट्वीट उन्हीं पर भारी पड़ गया। दरअसल हाल ही में संसद में पीएम मोदी ने कांग्रेस को आड़े हांथ लेते हुए एक शेर सुनाया कि 'ताउम्र ग़ालिब ये भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी और मैं आईना साफ़ करता रहा।' इसके बाद पीएम मोदी के इस शेर को गलत बताते हुए लेखक और शायर जावेद अख्तर ने ट्वीट करते हुए कहा कि जावेद अख्तर ने लिखा कि— पीएम मिनिस्टर साहब ने जो शेर राज्य सभा में अपने अभिभाषण के दौरान सुनाया उसकी वजह से ग़ालिब का गलत शेर सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।

जावेद ने कहा कि सुनाए गए शेर की दोनों ही पंक्तियां शायरी के मीटर में नहीं हैं। जिसके बाद उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल भी किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर मौजूद लोगों ने जावेद को ट्रोल करते हुए लिखा कि जावेद साहब हम आपका बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन ये सब आपको शोभा नहीं देता। ये पहली बार नहीं है कि जावेद इस तरह के मामले में सुर्ख़ियों में आ गए हों बल्कि बेगूसराय से लेफ्ट के उम्मीदवार रहे कन्हैया कुमार के प्रचार में पहुंचे जावेद अख्तर ने कहा था कि बीजेपी के नेता समाज में सांप्रदायिक सद्भावना को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं लेकिन कन्हैया में इंकलाब का जज्बा है।

उन्होंने कहा था कि आज कन्हैया के डर से लोग कांप रहे कि आखिर क्या होगा, क्योंकि कन्हैया सीधा तौर पर जवाब देता है और कहता है कि अगर आप में ताकत हो तो मुझे जेल भेज दो लेकिन जो सच है वो ये है कि वो सच बोलकर ही रहेगा। ये व्यक्ति झूठ के खिलाफ, अन्याय के खिलाफ खुल कर बोलेगा और जो आप लोगों का दर्द है वो खुल कर पार्लियामेंट तक पहुंचाने का काम करेगा, लेकिन जावेद की इस बात और उम्मीद पर पानी तब फिर गया जब चुनाव के नतीजे आए जिसमें कन्हैया को हार का सामना करना पड़ा। आइये बात करते हैं उन सिनेमा के स्टार्स की जिन्होंने पीएम मोदी के सामने चुनावी मैदान में हुंकार तो भरी, लेकिन मामला टांय-टांय फिस्स ही रहा...

उर्मिला मातोंडकर
रामगोपाल वर्मा की खोज और 'रंगीला', 'मस्त' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय की धाक जमा देने वाली उर्मिला ने कांग्रेस के टिकट पर मुंबई उत्तर सीट से चुनाव लड़ा है और 23 मई को आए नतीजों में उनके हिस्से में हार आई. उर्मिला बॉलीवुड से लगभग छुट्टी ले चुकी थीं और लंबे समय से सिर्फ छोटी भूमिकाओं में या बतौर मेहमान वो फिल्मों में नजर आती थीं। उर्मिला पर्दे के पीछे समाजसेवा और थिएटर से जुड़े कई काम कर रही थीं, लेकिन बॉलीवुड में उनकी पारी लगभग समाप्ति की ओर थी, ऐसे में सनी देओल की तरह उनके लिए भी चुनावी मैदान में उतरना कोई मुश्किल फैसला नहीं रहा था। लेकिन राजनीति में उनकी ये शुरुआत हार से हुई जिसकी शायद उन्हें उम्मीद नहीं होगी।

प्रकाश राज
बॉलीवुड के लोकप्रिय विलेन प्रकाश राज का राजनीति में आना समझ से बाहर लगता है। वो लगातार अच्छी फिल्मों का हिस्सा रहे हैं और 5 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता भी रहे हैं। लेकिन 54 साल के इस अभिनेता के करियर ग्राफ को अगर आप देखें तो आपको मालूम चलेगा कि वो बहुत लंबे समय से फिल्मों में सक्रिय हैं और बॉलीवुड में भी जो रोल उन्हें मिल रहे हैं वो एक ही तरह के रोल्स हैं। दक्षिण भारत में फिल्मों से आए कलाकारों को राजनीति में अच्छा स्थान मिलता है। एनटीआर, जयललिता, एमजीआर इसके बड़े उदाहरण रहे हैं।
हाल ही में कमल हासन और रजनीकांत ने भी काफी सुर्खियां बटोरी हैं ऐसे में प्रकाश राज के लिए राजनीति एक बेहतर ऑप्शन था।वो कमल हासन और रजनीकांत की झिझक को भांप चुके थे और बतौर एक्टर उनके पास इन दोनों अभिनेताओं जैसी ऐसी कोई लेगेसी नहीं थी जिसके खोने का उन्हें डर था। वो अपने करियर में उतार की ओर थे और ऐसे में उन्होंने सही समय पर राजनीति में छलांग लगाई और बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर वो खड़े हो गए, लेकिन चुनावी नतीजों में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।

स्वरा भास्कर
बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर चुनावी मैदान में बतौर प्रत्याशी तो नहीं उतरीं, लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान काफी एक्टिव दिखीं। वह रैलियों और रोड शो में भीड़ जुटाने के काम तो आ गईं। लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ.अब जब नतीजे साफ हो चुके हैं तो सामने आ चुका है कि स्वरा ने जिस-जिस नेता का प्रचार किया, उनमें से एक ने भी जीत हासिल नहीं की। स्वरा कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, सीपीआई के कन्हैया कुमार और आम आदमी पार्टी की आतिशी और राघव चड्ढा के लिए प्रचार करने पहुंची थीं। लेकिन इनमें से कोई भी कैंडिडेट बढ़त बनाने में नाकाम रहा।


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